हिंदी पखवाड़े में नदलेस क़ी 4th कार्यकारिणी का हुआ गठन..
दिल्ली। नव दलित लेखक संघ, दिल्ली द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर, शाहदरा स्थित संघाराम बुद्ध विहार में चौथी आमसभा आयोजित की गई। इसमें सर्वसम्मति से नदलेस की चौथी कार्यकारिणी का गठन किया गया। साथ ही, डॉ. उषा सिंह की आत्मकथा 'और खिड़कियां खुलती गईं' का लोकार्पण भी किया गया। गोष्ठी में सर्वप्रथम डॉ. अमित धर्मसिंह द्वारा गत वर्ष की संपूर्ण गतिविधियों पर संक्षिप्त प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि गत वर्ष में नदलेस ने कुल तैतीस गोष्ठियों का आयोजन किया। इनमें करीब पंद्रह गोष्ठियां विविध पुस्तकों पर परिचर्चा, दस स्वतंत्र काव्य पाठ गोष्ठी, छह लोकार्पण समारोह और बाकी कार्यकारिणी की मीटिंग की तरह आयोजित हुईं। इस दौरान अडतालीस नए आजीवन सदस्य बने। नदलेस द्वारा परिचर्चित कहानियों का संकलन क़िस्त और सोच के तीसरे वार्षिक अंक का संपादन व प्रकाशन भी गत वर्ष की एक बड़ी उपलब्धि रही। कुल मिलाकर गत वर्ष का पूरा कार्यकाल रचनात्मक गतिविधियों और उपलब्धियों से भरा रहा। तत्पश्चात नदलेस की चौथी कार्यकारिणी का सर्वसम्मति से चुनाव किया गया। चौथी कार्यकारिणी में क्रमश: अध्यक्ष, बंशीधर नाहरवाल, उपाध्यक्ष, मदनलाल राज़, सचिव, मामचंद सागर, सहसचिव, सलीमा, संयुक्त प्रचार सचिव, लोकेश कुमार और बृजपाल सहज, कोषाध्यक्ष, हुमा खातून, अंकेक्षक, डॉ. अमित धर्मसिंह, कार्यकारिणी सदस्यों में, फूलसिंह कुस्तवार, राधेश्याम कांसोटिया, राष्ट्रपाल गौतम, देवराज सिंह देव, धनदेवी, डॉ. ऊषा सिंह, ज्ञानेंद्र सिद्धार्थ, जोगेंद्र सिंह, ममता अंबेडकर, नीरज सौदाई और सम्मानित सदस्यों में, डॉ. कुसुम वियोगी, डॉ. रामनिवास, पुष्पा विवेक, डॉ. गीता कृष्णांगी और आर. पी. सोनकर चुने गए तथा सोच के चौथे अंक के लिए संपादक मंडल में संपादक, बंशीधर नाहरवाल, सहसंपादक, मदनलाल राज़ और डॉ. ऊषा सिंह, संपादन सहयोगियों में ज्ञानेंद्र सिद्धार्थ और ममता अंबेडकर तथा संपादन सलाहकार ने डॉ. कुसुम वियोगी सर्वसम्मति से चुने गए। समीक्षा संकलन के संपादन हेतु संयुक्त संपादक (संपादक द्वय) लोकेश कुमार और बृजपाल सहज चुने गए।
नव निर्वाचित कार्यकारिणी द्वारा सर्वप्रथम पूर्व अध्यक्षा एवं सोच के तीसरे अंक की संपादक रही पुष्पा विवेक को माल्यार्पण कर संबंधित पदों से पूर्ण स्वागत-सत्कार के साथ विदाई दी। इसी प्रकार नव निर्वाचित अध्यक्ष बंशीधर नाहरवाल का माल्यार्पण कर स्वागत सत्कार किया गया तथा अध्यक्ष और संपादक चुने जाने पर सभी ने हार्दिक बधाई दी। पूर्व में अध्यक्ष रहे डॉ. कुसुम वियोगी/कबीर कात्यायन, पुष्पा विवेक और नव निर्वाचित अध्यक्ष बंशीधर नाहरवाल द्वारा चौथी कार्यकारिणी में नव निर्वाचित हुए सभी पदाधिकारियों, सदस्यों तथा उपस्थित रचनाकारों को नदलेस मार्का पैन भेंट किया गया। तदुपरान्त उक्त तीनों अध्यक्षों के साथ साथ नदलेस की नव निर्वाचित कार्यकारिणी द्वारा डॉ. ऊषा सिंह की सद्य प्रकाशित आत्मकथा 'और खिड़कियां खुलती गईं' का लोकार्पण किया गया। अंत में सभी उपस्थित साहित्यकारों का काव्य पाठ हुआ। अध्यक्षता नव निर्वाचित अध्यक्ष बंशीधर नाहरवाल ने की एवं संचालन नव निर्वाचित सचिव मामचंद सागर ने किया। काव्य पाठ करने वालों में क्रमशः डॉ. गीता कृष्णांगी, हुमा खातून, मामचंद सागर, इंद्रजीत सुकुमार, राष्ट्रपाल गौतम, फूलसिंह कुस्तवार, मदनलाल राज़, डॉ. ऊषा सिंह, डॉ. कुसुम वियोगी/कबीर कात्यायन, लोकेश कुमार, धनदेवी, डॉ. अमित धर्मसिंह, पुष्पा विवेक, देवराज सिंह देव और राधेश्याम कांसोटिया आदि के नाम प्रमुख रहे। गोष्ठी में उक्त के अलावा सुखबीर सिंह, भागसिंह, भिक्षु बी. पी. थीरो ज्योति, पदम सिंह गौतम और हीरालाल बृजपुरी आदि गणमान्य रचनाकार उपस्थित रहे। दोपहर के भोजन एवं जलपान की व्यवस्था डॉ. ऊषा सिंह की तरफ से रही। सभी उपस्थित काव्य प्रेमियों, कवियों और नव निर्वाचित पदाधिकारियों व सदस्यगणों का अनौपचारिक धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमित धर्मसिंह ने किया।