इतिहास भूला नहीं तुम्हें, भविष्य कहाँ मिटते हैं..



डॉ. नाज परवीन

(शहीदी दिवस पर विशेष )

 इतिहास भूला नहीं तुम्हें, 

भविष्य कहाँ मिटते हैं, 

23 मार्च का दिन है,

बहादुरी का परचम बार- बार लहराया जायेगा.. 

हाथों में किताब, आँखों में ख्वाब,

ज़ुबाँ में मिठास, तमन्ना है सरफ़रोश

आने वाली पीढी को बतलाया जायेगा

इतिहास भूला नहीं तुम्हें और न भुलाया जायेगा।


हमारी रगो में ही नहीं, यहाँ की मिट्टी में 

शामिल है तुम्हारे लहू की खुशबू 

ये सच है! और सच हमेशा दोहराया जायेगा.. 

इतिहास भूला नहीं तुम्हें, 

भविष्य कहाँ मिटते हैं ।


 बेपनाह इश्क वतन से था,

आजादी को दुल्हन चुना, 

फांसी की माला बुनी, 

मौत से हस कर कहा-"तुम नहीं मिटा पाओगी मुझे!"

विचार कहाँ मिटते हैं.. 

तुमसे विचारों को न मिटाया जायेगा 


इतिहास भूला नहीं तुम्हें, 

भविष्य कहाँ मिटते हैं

तुम गर्व हो हमारे और गर्व को 

माथे से लगाया जायेगा, माथे से लगाया जायेगा ।।


स्वा रचित रचना

डॉ. नाज परवीन



#23 मार्च 1931 को शहीद-ए-आजम भगत सिंह को उनके दो साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था। यही वजह है कि हर साल 23 मार्च का दिन इन तीन शहीदों की याद में शहीदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।


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