विश्व मातृभाषा दिवस पर आनलाइन सेमिनार का आयोजन

 



बीती रात उर्दू  बेदारी फोरम मुजफ्फरनगर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के संबंध में एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में उर्दू प्रेमियों ने भाग लिया और मातृभाषा की सरक्षण के लिए अपना संकल्प व्यक्त किया।

 बैठक अध्यक्षता उर्दू टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष रईसुद्दीन राणा ने की, जबकि संचालन  मास्टर शहजाद अली ने किया।


इस मौके पर हाजी उसाफ अंसारी ने कहा कि उर्दू भाषा को जिंदा रखने के लिए नई पीढ़ी को उर्दू सिखाना बहुत जरूरी है.

डॉ. ताहिर कमर मीरापुरी ने कहा कि भाषा तभी जीवित रहती है जब उसकी लिपि जीवित रहती है उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अपील की कि उर्दू भाषा को  जिंदा रखने के लिए जरूरी है कि हम सोशल मीडिया पर भी उर्दू लिपि का प्रयोग करें।

उर्दू अखबार और पत्रिकाएँ खरीदें और पढ़ें और उर्दू लिखें और बोलें और नई पीढ़ी को उर्दू सीखने के लिए आकर्षित करें। उर्दू डेवलपमेंट के जिलाअध्यक्ष मो कलीम त्यागी ने कहा कि हमें शादियों और अन्य कार्यक्रमों के निमंत्रण पत्र उर्दू में प्रकाशित करने चाहिए ताकि उर्दू भाषा को बढ़ावा मिल सके। साथ ही अपने घरों के साथ-साथ अपनी दुकानों आदि पर भी उर्दू में नेम प्लेट लिखें ताकि उर्दू को जिंदा रखने में आसानी हो।

तहसीन कमर ने कहा कि उर्दू के अस्तित्व के लिए लगातार संघर्ष करना हम सभी की जिम्मेदारी है, साथ ही उन्होंने उर्दू के अस्तित्व के लिए उर्दू बेदारी फोरम मुजफ्फरनगर के संघर्ष की भी सराहना की।


अध्यक्षता कर रहे रईसुद्दीन राणा ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार उर्दू के प्रति सौतेला रवैया अपना रही है, जबकि उर्दू भाषा को सूबे में दूसरी राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।

मास्टर शहजाद अली ने कहा कि उर्दू के हत्यारे भी हमारे ही अंदर मौजूद हैं जो उर्दू भाषा को बर्बाद करने में पीछे नहीं हैं।और जिसके जिम्मेदार हम खुद होंगे।

इस कार्यक्रम में डॉ. फारुख हसन, डॉ. सलीम, रियाज अली, डॉ. कलीम ,अब्दुल अजीम,

अली नवाज ,बाबू तराबुद्दीन, नदीम अहमद, नसीम अदो विकेट, मुहम्मद वसीम आदि ऑनलाइन शामिल रहे।

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