मदरसों को बंद करने की रची जा रही साजिश.. जमियत ने नोटिसो को बताया साजिश

 


जमियत उलमा की बैठक मे शिक्षा विभाग द्वारा नियम विरुद्ध दिये जा रहे नोटिसो की निंदा की गई 


मुज़फ्फरनगर। जमियत उलमा  की एक अहम मीटिंग मे मदरसों पर बिना वजह सरकारी शिकंजा कसे जाने को लेकर चर्चा हुई। ज़िला महासचिव  कारी ज़ाकिर हुसैन क़ासमी के आवास पर संपन्न हुई बैठक मे  मदरसों को बिना मान्यता प्राप्त विद्यालय बताकर बन्द कराने के सम्बंध में गौर ओ फिक्र किया गया। इस अवसर पर जमीयत उलमा उत्तर  के सेक्रेटरी कारी जाकिर हुसैन ने कहा कि  मुजफ्फर नगर में चलने वाले धार्मिक मदरसों मे निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। इन मदरसों में कक्षाओं का भी आयोजन नही किया जाता है। ये मदरसे आज़ादी से भी पहले से चले आ रहे हैं। जो संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतन्ता के मौलिक अधिकारों के तहत चलाये जाते हैं। इस प्रकार ये मदरसे विद्यालयों की श्रेणी में नहीं आते हैं , किन्तु इन मदरसों को कुछ दिन पूर्व से लगातार शिक्षा विभाग द्वारा नोटिस दिये जा रहे है। कि उक्त मदरसे मान्यता प्राप्त नहीं है। मदरसे तत्काल बन्द कर दिये जायें अन्यथा आप पर दस हज़ार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जायेगा । ये नोटिस शिक्षा विभाग द्वारा, निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 18 के अधीन प्रेषित किये जा रहे है, जबकि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 की

संशोधित अधिनियम 2012 की धारा 2 (5) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि यह नियम मुस्लिम मदरसों, पाठशालाओं, या धार्मिक संस्थानों पर लागू नहीं होता। अतः शिक्षा विभाग द्वारा इस तरह से नोटिस प्रेषित करना अत्यंत निंदनीय है जिससे मुस्लिम समाज में रोष व्याप्त है।

इस अवसर पर  कारी ज़ाकिर हुसैन क़ासमी सेक्रेटरी जमीयत उल्मा  ने कहा कि देश की आज़ादी में मदरसों का अहम योगदान रहा है और मदरसा के छात्रों का रिकॉर्ड रहा है कि उन्होने आज़ादी के बाद राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।शिक्षा विभाग द्वारा मदरसों को गलत तरीके से नोटिस दिए जा रहे हैं । मदरसों के माध्यम से आज भी अमन ओ एकता, आपसी मुहब्बत और भाईचारे का पैगाम दिया जा रहा है। इन मदरसों की अहमियत को समझना अति आवश्यक है।इस अवसर पर शहर सदर हाफिज मोहम्मद इकराम, मौलाना गुलजार, कारी अब्दुल माजिद, नायब शहर सदर हाजी वसीम आलम, कारी मोहम्मद सादिक, मौलाना अरशद, कारी बिलाल, मौलाना समीउल्लाह, डॉक्टर अखलाक, मौलाना रजी, मौलाना अम्मार, मुफ्ति जावेद, मौलाना सनाउल्लाह  मौजूद रहे।

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