शिया समुदाय के लोगो ने जुल्म के विरोध में राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

 




अत्याचार के खिलाफ एसडीएम को ज्ञापन सौंपा

फरीद अंसारी

जानसठ।शिया समुदाय के लोगो ने सियासी जुल्म, समाजी जुल्म, आर्थिक जुल्म व या तालीमी जुल्म के खिलाफ माननीय राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन देकर अपनी मांगे पूरी कराने की मांग की। 


शनिवार को शिया समुदाय के लोगो ने दुआए जेहरा वेलफेयर सोसाइटी जानसठ की ओर से माननीय राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन देकर बताया कि  हिन्दुस्तान ने हमेशा अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाई है और मज़लूम का साथ दिया है, गुलाम कौमों को आजादी दिलाने में , दुनियां में तानाशाही के खिलाफ माहौल बनाने में हिन्दुस्तान का बहुत बड़ा योगदान है । मगर यह बड़ी अजीब बात है कि अगर यह सियासी जुल्म हो , समाजी जुल्म हो , आर्थिक जुल्म हो या तालीमी जुल्म हो तो इसके खिलाफ हर एक खुलकर आवाज उठाता है लेकिन अगर किसी पर मज़हबी जुल्म हो रहा है तो लोग खामोश दर्शक बने हुए देखते रहते हैं और इसको क्षेत्रीय प्रशासन का मामला कह कर अपना दामन झाड़ लेते हैं । 9/11 की दहशतगर्दी शुरू होने से पहले पाकिस्तान , अफगानिस्तान और इराक में जो शियाओ का नरसंहार हुआ,  वह सिर्फ धार्मिक आधार पर हुए इसका दुनियां ने कोई नोटिस नहीं लिया, लेकिन जब से आतंकवाद राजनैतिक आधारों पर होने लगा तो सारी दुनियां चीख उठी । पहले विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने ग्रेटर टर्की के विभाजन की जो योजना बनाई थी उसमे सऊदी अरब की हुकूमत आले सऊद के हवाले कर दी , आले सऊद , वहाबी दृष्टिकोण रखने वाले लोग थे, जिन्होने सत्ता में आते ही 1926 में मुसलमानों के रसूल हज़रत मोहम्मद साहब की बेटी जनाबे फातिमा का मज़ार जो मदीने में जन्नतुल बकी के कब्रिस्तान में बना था ध्वस्त कर दिया और साथ ही शियों के दूसरे , चौथे , पांचवें और छठे इमामों के मज़ारों को भी ध्वस्त कर दिया । इस घटना से समस्त खुश अकीदा शिया सुन्नी और सूफी मुसलमानों के दिल टुकड़े टुकड़े हो गये और सारी दुनियां में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए जिसमें अखण्ड हिन्दुस्तान भी आगे रहा । उस वक्त से आज तक चूंकि सऊदी अरब में उन्हीं लोगों की हुकूमत है इसलिए इन मज़ारों की दोबारा निर्माण पसन्द हिन्दुस्तानियों खास कर शियों , की कोई सूरत पैदा नहीं हो सकी लेकिन यह जुल्म इन्साफ सुन्नियों और सुफियों के दिल पर ज़ख़्म का काम कर रहा है । आज की दुनियां में परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं । वह परिस्थितियां इस बात की मांग कर रही हैं कि सऊदी अरब की हुकूमत को यह समझाया जाए कि वह पूजा एवं आस्था में अपना दृष्टिकोण दूसरों पर लादने की कोशिश न करें । न तो वह जन्नतुल बकी स्थित मदीना की कब्रों पर इमारत बनाने की इजाजत देते हैं और न वह मक्के मदीने की इबादतगाहों में हर समुदाय के मुसलमानों को उनके दृष्टिकोण के अनुसार इबादत करने की इजाजत देते हैं । हम सउदी सरकार से मांग करते हैं कि वह अतिशीघ्र जन्नत - उल - बकी , मदीना में रसूल - ए - इस्लाम की बेटी जनाबे फातिमा स.अ. और हमारे चार इमामों के रौज़ों को या तो वह पुर्न निर्माण करे या हमें पुर्न निर्माण की इजाजत दे । इस दौरान शाह आलम जैदी, हसीन हैदर जैदी एडवोकेट, इमान अली एडवोकेट,   जोनी जैदी, अनवर रजा एडवोकेट, अली जैदी, कासिफ राजा, शावेज़ एडवोकेट आदि का सहयोग रहा।

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