नदलेस का एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष में काव्य एवं विचार गोष्ठी



  नदलेस का एक वर्षीय पड़ाव सफलतापूर्वक पूरा होने के उपलक्ष में नदलेस द्वारा काव्य एवं विचार गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता डा. अनिल कुमार ने और संचालन डा. अमिता मेहरोलिया ने किया। काव्यपाठ करने वालों में क्रमशः इंदु रवि, बंशीधर नाहरवाल, समय सिंह जोल, प्रदीप कुमार, अमित धर्मसिंह, डा. कुसुम वियोगी, डा. बिपिन कुमार, कर्मशील भारती, मामचंद सागर, ईश्वर राही, एस. एन. प्रसाद, उमेश राज़, डा. नविला सत्यादास, रवि निर्मला सिंह, भूपसिंह भारती, चितरंजन गोप लुकाटी, अखिलेश कुमार और मदनलाल राज़ आदि गणमान्य कवि रहे। डा. मुकेश मिरोठा की मंगलकामनाएं, सोमी सैन और डा. अमिता मेहरोलिया की टिप्पणी तथा डा. अनिल कुमार के अध्यक्षीय वक्तव्य से गोष्ठी समृद्ध हुई। उक्त के अतिरिक्त गोष्ठी को अपनी उपस्थिति से समृद्ध करने वालों में क्रमश: डा. गीता कृष्णांगी, सरुप सियाल्वी, आर. पी. सोनकर, डा. नरेंद्र, श्यामलाल राही, बृजपाल सहज, गुलफ्शा सिद्दीकी, खन्नाप्रसाद अमीन, जगदीश पंकज और आर. जी. कुरील आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।






          गोष्ठी में एक से बढ़कर एक रचना प्रस्तुत की गई। अधिकतर कविताओं में समाज के शोषित और वंचित समाज की पीड़ा उभरकर सामने आई। कुछ कवियों ने श्रृंगार रस की कविताओं के पाठ और गायन से गोष्ठी को सुमधुरता प्रदान की। डा. कुसुम वियोगी ने पढ़ा - "इतने मीत हुए ना अपने, जितने गीत सगे। ढाई आखर प्रेम का पढ़ने सारी रात जगे।।" मामचंद सागर ने भी कुछ ऐसा ही गीत पढ़ा-"जो तुमसे छिपी है, वो गीतों में गुंथी है। आँखों ने कहा है, और कण्ठ से फुटी है।।" कर्मशील भारती ने समसामयिक विषय को लेकर कविता पढ़ी - "मैं जे एन यू की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित बोल रही हूं। कुछ मिथक/कुछ इतिहास के पन्ने खोल रही हूं।।" प्रो. बिपिन कुमार ने बेरहम कविता में पढ़ा- "भीड़ नहीं है, विध्वंशकारी शक्तियां हैं, एकजुटता है इनमें, शक्ल ले चुकी है भीड़ का। भीड़ तो तमाशबीन होती है, भीड़ नरसंहार नहीं करती, वह तो नरसंहार देखती है, भीड़ नहीं है अमानुषों की टोली है।" प्रदीप कुमार ने बाल कविता प्रस्तुत की -"मेरा जन्मदिन आया है, ऊपर देखा,नीचे देखा, अंदर देखा, बाहर देखा, माँ ने खूब सजाया है, मेरा जन्मदिन आया है।।" 

          डा. ईश्वर राही ने जालोर में अध्यापक द्वारा पीटने हुई मासूम बच्चे इंद्र कुमार मेघवाल की मृत्यु पर कविता पढ़ी- "बलि चढ़ गया वो, जिसे अभी तक, न था पता धर्म का, जाति की दीवारों का।।" भूपसिंह भारती ने बाबा साहब अम्बेडकर पर गीत पढ़ा -"मेरे भीमराव ने भारत का सुंदर संविधान बनाया है। हर शब्द वाक्य हर पन्ने में समता का भाव समाया है।।" एस. एन. प्रसाद ने नदलेस को विषय बनाकर कविता पढ़ी- "कर्तव्य से व्यक्तित्व निखरता है और उस व्यक्ति की यही विशेषता है, कि लेकर सबका साथ, हर वक्त आगे बढ़ता है, इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है, खुला हृदय आसमान की तरह, सबके लिए समान रखता है, निरन्तर समाज के हित में नदलेस का हर पदाधिकारी सर्वप्रथम स्वयं को परखता है। साहित्य की समझ सम्यक दृष्टि और दक्षता है।" डा. मुकेश मिरोठा ने एक वर्ष सफलापूर्वक पूरा करने पर नदलेस की पूरी टीम को मंगलकामनाएं दीं, उन्होंने कहा कि मात्र एक वर्ष में जिस मेहनत से नदलेस की टीम ने रचनात्मक कार्य किए हैं, उससे साहित्य जगत और दलित समाज में नदलेस का बहुत ऊंचा मुकाम बनकर सामने आया है। अध्यक्ष डा. अनिल कुमार ने रचनाकारों की रचनाओं की सराहना करते हुए कहा कि नदलेस आगे भी सामाजिक और साहित्यिक मुहिम में अग्रणी बना रहेगा। सभी उपस्थित साहित्यकारों का आभार ज्ञापन डा. अमित धर्मसिंह ने किया।



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