सीएबीजी सर्जरी से ट्रिपल वेसेल सीएडी के मरीजों का सफल इलाज किया गया

 


 

सीएडी के मामले युवाओं में तेजी से बढ़ रहे हैं

मेरठ: दुनिया में कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) कार्डियोवैस्कुलर मौतों का सबसे बड़ा कारण है। भारत भी इसका अपवाद नहीं है जहां सीएडी मरीजों की बड़ी तादाद है और यह विश्व के मुकाबले यहां 20 फीसदी मरीज हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज, नई दिल्ली के डॉक्टरों ने ऐसे मरीजों के सही समय पर इलाज और सही इलाज से जीवन की गुणवत्ता में सुधार के महत्व को बताने के लिए मरीज केंद्रित एक संवाद सत्र का आयोजन किया।

 

इस सत्र का संचालन मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज में सीटीवीएस के निदेशक और प्रमुख डॉ. वैभव मिश्रा ने किया और हाल ही में मेरठ के कई सारे ऐसे मरीजों के बारे में बताया जिन्होंने ट्रिपल वेसल हृदय रोगों से पीड़ित होने के बाद जटिल हार्ट बाईपास सर्जरी कराई थी। इस मौके पर सर्जरी कराने वाले रामवीर सिंह (64), नरेश कुमार (60), उमेश चंद (63) और डीडी कौशिक भी मौजूद थे।

 

हाल के दिनों में ट्रिपल वेसेल कोरोनरी आर्टरी रोगों से पीड़ित ऐसे ही कई मरीजों का सफल इलाज किया गया है। इस सम्मेलन का मकसद ट्रिपल वेसल सीएडी से पीड़ित मरीजों को लोगों के सामने पेश करना था, जिनका सफल इलाज किया गया और अब वे बेहतर जीवन जी रहे हैं।

नरेश कुमार (60) को हाल ही में 30 फीसदी एजैकुलेशन फ्रैक्शन के साथ एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (एसीए) डायग्नोज हुई थी। इमरजेंसी में मरीज की स्थिति नाजुक बनी हुई थी और उसकी जान पर बन आई थी। डॉक्टरों की टीम ने तत्काल मोर्चा संभाला। आॅपरेशन के बाद संपूर्ण जांच कराई गई। एंजियोग्राफी से पता चला कि मरीज कोरोनरी आर्टरी ट्रिपल वेसेल रोग की गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। टीम ने तत्काल ऑफ पंप सीएबीजी सर्जरी करने का फैसला किया जिसे 'टोटल आर्टरी रिवैस्कुलराइजेशन' भी कहा जाता है।

 डॉ. वैभव मिश्रा ने बताया 'सर्जरी की इस पद्धति में तकनीक की आवश्यकता होती है और कई कार्डियक सेंटरों पर यह संभव नहीं है। अपनी इस यूनिट में हम बाईपास सर्जरी कराने वाले 50 साल से कम उम्र के युवाओं की भी ऐसी सर्जरी नियमित रूप से कर रहे हैं। टीम ने हार्ट—लंग मशीन के इस्तेमाल के बगैर हार्ट सर्जरी से बेहतर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। मरीज को तीन चीरा लगाया गया और सर्जरी के तीन दिन के अंदर सामान्य स्थिति में लाने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। हालांकि युवा मरीजों (45 साल से कम) में ट्रिपल वेसेल कोरोनरी आर्टरी डिजीज (टीवीसीएडी) के मामले बहुत कम होते हैं लेकिन खराब लाइफस्टाइल और खराब आदतों के कारण ऐसे मरीजों की तादाद बढ़ रही है।'


इस संवाद सत्र का मुख्य मकसद इस बात पर जोर देना था कि बायपास सर्जरी के परिणामों में सुधार आया है और ये शानदार तथा पहले से अधिक सुरक्षित हो गए हैं। आधुनिक उपचार पद्धतियों के कारण मरीजों को अलग से खून चढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है और उन्हें अस्पताल में कम समय रुकना पड़ता है।

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