आज के दिन ही मिली थी मुल्क के गावो को असली आज़ादी .....
Arif
आज हमारे देश में 13वाँ राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। 24 अप्रैल 1993 का दिन देश की सत्ता के विकेंद्रीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण अवसर था। इस दिन पंचायती राज व्यवस्था को संस्थागत स्वरूप दिया गया पंचायती राज मंत्रालय 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाता है क्योंकि इस दिन संविधान के 73वें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायत राज व्यवस्था अस्तित्व में आई थी। ज्ञातव्य है कि संविधान के अनुच्छेद 40 में पंचायतों का उल्लेख किया गया है। और अनुच्छेद 246 के माध्यम से स्थानीय स्वशासन से संबंधित किसी भी विषय के संबंध में कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल को सौंपा गया है। इस दिवस का आयोजन देश के अलग-अलग हिस्सों से पंचायत प्रतिनिधियों से सीधे बात करने उनकी उपलब्धियों को सम्मान देने एवं उन्हें आगे करने उन्हें सशक्त बनाने तथा उन्हें प्रेरित करने का अवसर देता है। इस बार तेहरवा राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है ।अगर हम इसके इतिहास में जाए तो सर्वप्रथम प्राचीन संस्कृत शास्त्रों में पंचायतन शब्द का उल्लेख मिलता है ऋग्वेद में भी 'सभा एवं समिति' जैसी कार्यों का उल्लेख मिलता है प्राचीनकाल में" ग्रामीण" गांव का मुखिया होता था जबकि दशक दस गाँव का प्रमुख होता था। मौर्य काल में ग्राम का मुखिया , वृद्धो की एक परिषद की सहायता से चुना जाता था। सल्तनत काल में दिल्ली के सुल्तानों ने अपने राज्यों को प्रांतों में विभाजित किया जिन्हें "विलायत" कहा जाता था ।ब्रिटिश काल के दौरान ग्राम पंचायतों की वैधता समाप्त हो गई और वे कमजोर हो गए थे। चाल्स मेटकॉफ नें पंचायतों को लघु गणराज्य कहा तो वही लॉर्ड रिपन ने 1870 के प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 1882 में स्थानीय संस्थाओं को एक लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान किया। 1907 में शासन के विकेंद्रीकरण पर एक रॉयल आयोग का गठन किया गया था जिसने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से ग्रामीणों में स्थानीय अधिकारियों को ग्राम पंचायतों के माध्यम से संचालित किए जाने की सिफारिश की थी।
• इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय देश भर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पंचायतों/राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पुरस्कृत करता है।
• यह पुरस्कार विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत दिये जाते हैं,
दीन दयाल उपाध्याय पंचायत शक्तीकरण पुरस्कार।
नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार।
बाल सुलभ ग्राम पंचायत पुरस्कार।
ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार।
ई-पंचायत पुरस्कार (केवल राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को दिया गया)।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर आज प्रधानमंत्री सांबा के पल्ली गांव आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर को कई सौगातें देंगे। वे आज पांच एक्सप्रेस वे का शिलान्यास करने के साथ ही बनिहाल-काजीगुंड टनल का उद्घाटन भी करेंगे। पल्ली देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत होगी, जहां सौर ऊर्जा से पूरा गांव रोशन होगी । हम जानते है कि देश में 2.54 लाख पंचायते है । जिनमें 2.47 लाख ग्राम पंचायत, 6614 क्षेत्र पंचायते, 630 ज़िला पंचायते है । हमारे देश में 29 लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधि है। आज आवश्यकता है कि हम हर पंचायत की परफॉर्मेंस को देखते हुए उसे रैंक दे। पंचायतो के महत्व को इग्नोर नही किया जा सकता
पंचायतो के माध्यम से शासन में समाज के अंतिम व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित होती है जिससे सुदूर ग्रामीण प्रदेशों के नागरिक भी लोकतंत्रात्मक संगठनों में रुचि लेते हैं।
स्थानीय लोगों को उस स्थान विशेष की परिस्थितियों, समस्याओं एवं चुनौतियों की बेहतर जानकारी होती है, अत: निर्णय में विसंगतियों की संभावना न्यूनतम होती है।
पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पेसा अधिनियम जैसे प्रावधानों को लागू करने से हाशिये पर रहने वाले समुदाय भी अपने अस्तित्व एवं मूल्यों से समझौता किये बगैर शासन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं।
साथ ही महिलाओं को न्यूनतम एक-तिहाई आरक्षण प्रदान करने से महिलाएँ भी मुख्यधारा में शामिल होती हैं।
पंचायते स्वस्थ राजनीति की प्रथम पाठशाला साबित हो सकती है जहाँ से ज़मीनी स्तर पर समाज के प्रत्येक पहलू की समझ रखने वाले एवं स्थानीय समस्याओं के प्रति संवेदनशील नेता भविष्य के लिये तैयार हो सकते हैं।
इसके माध्यम से केंद्र एवं राज्य सरकारों के मध्य स्थानीय समस्याओं को विभाजित कर उनका समाधान अधिक प्रभावी तरीके से किया जा सकता है।
पंचायतें अगर सशक्त बनेंगी तो ग्रामीण स्तर पर कला एवं शिल्प, हस्तकला, हस्तकरघा आदि जैसे सूक्ष्म उद्योगों को प्रोत्साहन प्रदान करेंगी जिससे रोज़गार में वृद्धि एवं प्रवासन में कमी होगी ।
अतः आज आवश्यकता है कि पंचायतो की कार्यप्रणाली की क्षमता में विस्तार करे साथ ही इसमें महिलाओ की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए उनके सशक्तिकरण की तरफ एक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।