आजीवन कारावास की सजा पाए कैदी की समयपूर्व रिहाई की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची रिहाई फॉउंडेशन






रिहाई फाउंडेशन ने याचिकाकर्ता आदेश की और से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है जिस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट विचार करेगी याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को वर्ष 2009 में (विचतधीन अवधि सहित) दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, याचिकाकर्ता को 17 साल से अधिक का समय जेल में काटने के बाद भी उसे जेल से रिहा नहीं किया गया ,और याचिकाकर्ता की अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है, याचिकाकर्ता छूट के साथ लगभग 20 वर्ष से आगरा सेंट्रल जेल में बंद है .यूपी परिवीक्षा अधिनियम, 1938 के तहत 16 वर्ष से अधिक का समय जेल में काटने के बाद राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार दोषियों की समयपूर्व रिहाई के लिए संविधान के अनुच्छेद-161 के तहत प्रदत शक्ति का प्रयोग करते हुवे दिनांक 01.08.2018 की यूपी सरकार की नीति के तहत ऎसे कैदी विचार करने के लिए पात्र है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की अन्य पीठ के समक्ष लंबित एक मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि अपील लंबित होने के दौरान 20-25 वर्षों से जेलों में बंद उन कैदियों की समय पूर्व रिहाई पर 2018 की नीति के तहत विचार किया जा सकता है। इस सम्बंद में रिहाई फौन्डेशन समिति” के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट, अदील सिद्दीकी के प्रयासो से मेरठ जेल में बन्द एक अन्य कैदी की रिट याचिका संख्या 514 ऑफ 2021 ,सुप्रीम कोर्ट में फाइल कर चूका है जिस में सुप्रीम कोर्ट ने  उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया गया है। रिहाई फॉउंडेशन समिति”के अध्यक्ष एडवोकेट, अदील सिद्दीकी ने लोगो से अनुरोध किया है जो कैदी सालों  से जेलों में बन्द है और सुधर चुके हैं, और समाज की मुख्य धारा में वापस आना चाहते है । ऐसे कैदियों की मदद के लिए सभी को आगे आना चाहिए। शासन से भी अनुरोध है कि वह कैदियों की समय से पूर्व रिहाई करे और उनकी जुर्माने की राशि को माफ कर दे, ताकि वे जेल से बाहर आकर नए सिरे से अपना जीवन शुरू कर सकें।

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