त्रिपुरा हिंसा मामले में राष्ट्पति से हस्तक्षेप की मांग

 

कांग्रेस के माइनॉरिटी सेल ने पत्रकारों की गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई


मुजफ्फरनगर। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज कर त्रिपुरा की मुस्लिम विरोधी हिंसा की जाँच करने गए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और एक पत्रकार पर यूएपीए के तहत लगाए फ़र्ज़ी मुकदमों को हटाने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की है। 


अल्पसंख्यक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अब्दुल्ला काज़ी ने कहा कि त्रिपुरा की बिप्लब कुमार देब सरकार अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी के निर्वहन में पूरी तरह विफल हो चुकी है। त्रिपुरा में सरकार के संरक्षण में मुस्लिम समाज की इबादतगाहों और दुकानों को बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा जलाया गया। लेकिन सरकार ने दोषीयों को नहीं पकड़ा। उल्टे इन घटनाओं की जाँच करने गए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों एहतेशाम हाशमी, अमित श्रीवास्तव, अंसार इंदौरी, मुकेश और स्वतंत्र पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर ट्विटर पर 'त्रिपुरा जल रहा है' लिखने के कारण यूएपीए के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया जो संविधान द्वारा नागरिकों को हासिल लोकतांत्रिक अधिकारों पर खुला हमला है। ऐसे में राष्ट्रपति महोदय को चाहिए कि अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर त्रिपुरा सरकार को इन फ़र्ज़ी मुकदमों को तत्काल हटाने का निर्देश दें। 
जिलाध्यक्ष अब्दुल्ला काज़ी ने कहा कि त्रिपुरा की मुस्लिम विरोधी हिंसा और अब उन घटनाओं की जाँच करने वाले वकीलों और पत्रकार पर फर्जी मुकदमें लगाने के खिलाफ़ सिर्फ़ राहुल गांधी व प्रदेश माइनॉरिटी अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने आवाज़ उठाई। न तो अखिलेश यादव ने कुछ बोला और न मायावती ने जो साबित करता है कि सपा और बसपा संघ और भाजपा के सामने घुटने टेक चुके हैं। यहां ज्ञापन देने वालो में जिलाध्यक्ष सुबोध शर्मा,ममनून अंसारी, धीरज माहेश्वरी,सतवीर कश्यप, रेशमा बेगम, विनोद चौहान, मुनीर,देवेंद्र कश्यप, डॉ. मतलूब अली,सलीम अहमद,ताहिर अब्बासी,शहज़ाद, अश्वनी उपाध्याय, जुल्फिकार आदि मौजूद रहे।

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