बदल रहा मौसम, नजरअंदाज न करें जुकाम को

 


-तबियत बिगड़ने पर लें चिकित्सक की सलाह

मेरठ। बदलते मौसम में हमें सावधानी बरतने की आवश्यकता है। जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। मौसम में थोड़ा बदलाव आते ही जुकाम होने की शिकायत होने लगती है। जुकाम एक तरह की एलर्जी है, जिसके कारण नाक बहना और गले से बलगम निकलना आम बात है। जब हमारे श्वसन तंत्र के साथ पस और पानी का मिश्रण बनना प्रारंभ होता है तब नाक और गले से इसकी निकासी शुरू हो जाती है, जबकि जुकाम कोई बीमारी नहीं है बल्कि इंफेक्शन का सूचक है, जिससे बड़ी समस्या भी हो सकती है जैसे निमोनिया आदि। इसके लिये सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश मोहन ने दी।

उन्होंने बताया कि इस मौसम में जुकाम बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर लोगों को निशाना बनाता है। इसके अतिरिक्त वह लोग भी इसकी चपेट में आते जाते हैं, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। हार्ट, डायबिटीज, दमा, एड्स, हेपेटाइटिस, खून की कमी वाले लोग, टीबी, हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगी जल्दी इसकी चपेट में आते हैं। समय रहते उपचार लेने से इससे बचा जा सकता है।

जुकाम के लक्षण

डा. अखिलेश मोहने ने कुछ लक्षण बताये जिसके शुरूआत में दिखते ही सावधान हो जाना चाहिये। अगर नाक से या गले से पतला सफेद पानी निकल रहा हो तो समझें जुकाम की शुरूआत हो गई है। यह अवस्था जुकाम की सामान्य अवस्था है। यह अपने आप दो तीन दिन में ठीक हो जाती है। अगर हल्के पीले रंग वाला गाढ़ा पानी गले और नाक से निकले तो सावधान होने की आवश्यकता है। नाक बंद होने पर वायरल इंफेक्शन हो सकता है जो स्टीम लेने से और एंटी एलर्जिक दवा लेने से तीन से पांच दिन में ठीक हो जाता है। बैक्टीरियल इंफेक्शन में चिकित्सक की सलाह से एंटीबायोटिक ली जा सकती है। हमेशा चिकित्सक से परामर्श के बाद ही दवा लें। अगर रेशा सफेद है तो यह एलर्जिक जुकाम है। अगर रेशे का रंग हरा या पीला गाढ़ा है तो यह इंफेक्शन का सूचक है। ऐसे में चिकित्सक से संपर्क करें नहीं तो इंफेक्शन फेफड़ों तक पहुंच कर ज्यादा तकलीफ दे सकता है। अगर जुकाम पांच दिन से अधिक चले, साथ में खांसी, बलगम, सिरदर्द, बदन दर्द और हल्का बुखार भी हो तो चिकित्सक की सलाह जरूरी है।


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