नूरा को ढेर करने वाले लोकेश भाटी को मिला पुलिस पदक

 

-दो दिसंबर 2014 को हुई मुठभेड़ में सिपाही एकांत यादव हो गए थे शहीद


-लखनऊ में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने लोकेश को दिया गैलेंट्री अवार्ड

लियाकत मंसूरी

मेरठ। हिस्ट्रीशीटर नूरा उर्फ नूर इलाही को राइफल की बट से मुठभेड़ में ढेर करने वाले दिलेर सिपाही लोकेश भाटी को पुलिस पदक से नवाजा गया है। लोकेश भाटी को गैलेंट्री अवार्ड लखनऊ में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने दिया। मेरठ पुलिस से एकलौते लोकेश भाटी रहे जिनको पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। लोकेश वर्तमान में सर्विलांस में तैनात है।

गौरतलब है कि ये घटना दो दिसंबर 2014 को हुई थी। वाकया रात करीब डेढ़ बजे का है। थाना लिसाड़ीगेट क्षेत्र की समर गार्डन चौकी पर तैनात सिपाही एकांत यादव और फतेहउल्ला रोड पर तैनात सिपाही लोकेश भाटी क्षेत्र में गश्त कर रहे थे, तभी एक युवक संदिग्ध हालात में बाइक पर आता नजर आया। सर्दी की रात थी। सिपाही मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रहे थे। संदिग्ध को देख सिपाहियों ने उसे रुकने का इशारा किया, लेकिन उसने बाइक की रफ्तार और बढ़ा दी। सिपाही एकांत यादव और लोकेश ने अपनी बाइक से पीछा करना शुरु किया, लेकिन संदिग्ध ने रफ्तार और बढ़ा दी। पीछा करता हुए फतेउल्लापुर की टाइल्स फैक्ट्री के पास बजरी पर बदमाश की बाइक फिसल गई। सिपाहियों को नजदीक आते देखकर उसने अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी। बदमाश की गोली सिपाही एकांत यादव के सीने में लगी और वह मौके पर ही शहीद हो गए। दूसरी ओर, बजरी पर बाइक फिसलने के कारण बदमाश भी गिर गया। सिपाही लोकेश ने बदमाश को दबोच लिया। बदमाश ने लोकेश को भी गोली मारी, लेकिन गोली शरीर को रगड़ खाती हुई निकल गई। गोली लगने से घायल हुए सिपाही लोकेश ने बदमाश को पकड़े रखा। आधे घंटे तक सिपाही लोकेश और बदमाश की मुठभेड़ होती रही। लोकेश ने रायफल की बट से बदमाश पर हमला किया और उसको ढेर कर दिया। 


कंकरखेड़ा थाने का हिस्ट्रीशीटर था नूरा

इस बदमाश की पहचान नूरा उर्फ भूरा उर्फ नूर इलाही निवासी कंकरखेड़ा के रूप में हुई। भूरा के पास से पुलिस को एक पिस्टल और दो मैग्जीन मिली थी। नूर इलाही कुख्यात बदमाश था। मेरठ के चार थानों में नूर इलाही के खिलाफ 7 मुकदमें कायम थे। कंकरखेड़ा थाने का हिस्ट्रीशीटर था। थाने में लगे बोर्ड में सबसे ऊपर नूर का ही नाम था। 


2011 में भर्ती, 2014 में हो गई मुठभेड़

नूरा को मुठभेड़ में ढेर करने वाले लोकेश भाटी 2011 में पुलिस में भर्ती हुए। पहली पोस्टिंग लोकेश की थाना लिसाड़ीगेट में हुई थी। 2014 में दिसंबर की रात्रि को जब यह घटना हुई, तब लोकेश की तैनाती फतेहउल्ला चौकी पर थी। घटना के एक सप्ताह बाद लोकेश को होश आया था। वर्तमान में लोकेश की तैनाती सर्विलांस ऑफिस में है।


दुख है मैं अपने साथी को नहीं बचा पाया

इस घटना को आज 7 साल हो गए। लोकेश का कहना है कि ऐसा लगता है, जैसे ये घटना अभी ही हुई हो। उस लम्हे को सोचकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते है। पुलिस पदक पाकर आज खुश हूं, लेकिन दुख है कि मैं अपने साथी को नहीं बचा पाया।


मदद को नहीं आया कोई आगे

लोकेश कहते हैं कि नूरा से मुठभेड़ के दौरान आस पास के लोग जाग गए थे। नूरा गाली गलौज कर रहा था। एक खिड़की से बाप और बेटा दोनों  इस मुठभेड़ को देख भी रहे थे। मैंने नूरा को एनकाउंटर में मार दिया। तब मैंने उनसे मदद मांगी। अपने गोली लगे बेहोश साथी को मैं गोद में लेकर बैठ गया। मैं मदद मांग रहा था, जब मदद मिली तब तक काफी देर हो चुकी थी।

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