ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करने हेतु गढ़ रोड स्थित मुरलीपुर फूल गांव में एक शिविर का आयोजन

 मिशन शक्ति अभियान, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय


मेरठ एवं मेंटल हेल्थ मिशन इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में आगामी 10 तारीख को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करने हेतु गढ़ रोड स्थित मुरलीपुर फूल गांव में एक शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के तौर पर डॉ संजय कुमार, मनोविभाग ने बताया कि अपनी जिन्दगी में विपरीत परिस्थितियों का सामना हर कोई करता है और उन परिस्थितियों से आने वाला तनाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। परंतु जब यह तनाव लंबे समय तक रहता हैं और हम इसके लिए कुछ नहीं करते तो यह तनाव हमारी मानसिक स्थिति को खराब करता है और तब हमें रात में नींद ना आना, घबराहट होना, डर लगना, चिंता होना, दिल पर भारीपन महसूस होने के साथ-साथ पेट की समस्याएं, मांसपेशियों में दर्द, सर दर्द जैसी शारीरिक समस्याएं तक हो सकती हैं। अतः ऐसी स्थितियों में तनाव से निपटने का सबसे पहला साधन है कि आप अपने मन की बात किसी न किसी व्यक्ति के साथ अवश्य साझा करें और अपने आसपास किसी ऐसे व्यक्ति को खोजें जो कि दूसरों की समस्याओं को सुनता हो, लोगों की मदद के साथ-साथ सवको सही सलाह देता हो और मानव के रूप में समाज को आगे बढ़ाने का उत्तरदायित्व निभाने में विश्वास रखता हो। संभवत ऐसे लोगों के साथ अपने मन की बात आप साझा करके ऐसी समस्याओं से बाहर निकल सकते हैं। और यदि फिर भी लगता है कि समस्या का समाधान नहीं मिला तो आप किसी मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से सलाह ले सकते हैं। 

दूसरे अतिथि वक्ता डा0 विवेक त्यागी, विधि विभाग ने महिलाओं के अधिकार सुरक्षित रखने हेतु कई प्रकार के कानूनों को बताते हुए कहा "जिसके पास ज्ञान है वही शक्तिमान है" इसलिए हमें अपनी जिंदगी को खुशनुमा एवं बेहतर बनाए रखने के लिए जागरूक होना अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि 2005 के बाद से पैदा हुई कोई भी लड़की पुत्रों की भांति पुत्री के रूप में ही अपने पिता से बराबर की संपत्ति का अधिकार रखती है। साथ ही उन्होंने बैंकिंग व्यवस्था में बेवजह छोटी राशि ही सही परंतु काट ली जाती है इसके बारे में बताया कि हम किन नियमों के तहत एवं कैसे उन पैसों को वापस ला  सकते हैं। इस प्रकार उन्होंने महिला को सशक्त बनाने हेतु कई प्रकार के कानूनों के बारे में समझाया। मेंटल हेल्थ मिशन इंडिया की मनोवैज्ञानिक स्वाति यादव ने बताया कि किस प्रकार खराब मानसिक स्थिति में लोग अपना स्वास्थ्य खराब कर लेते हैं साथ ही साथ बच्चों पर अपना गुस्सा निकाल कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। उन्होंने कहा कि महिला होते हुए हम कई प्रकार की जिम्मेदारियां एक साथ वहन करते हैं इसलिए हमें खुश  रहना चाहिए तब ही हम सब जगह बेहतर कार्य निष्पादन कर पायेंगे इसलिए महिलाओं को सबसे पहले खुद की खुशी के लिए खुद के साथ समय बिताना चाहिए। उन्होंने बताया कि अपने बच्चों को छोटी छोटी बात पर बिना कारण बताए सजा देने के बजाय उनके बेहतर भविष्य के लिए हमें उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के लिए उनहें पुरस्कृत करना चाहिए और उन्हें प्यार जताना चाहिए और यदि उन्होंने कोई गलती की है तो उन्हें मारने पीटने की बजाएं उनके द्वारा की गई गलती मे उनकी स्थिति को स्पष्ट करें, साथ ही साथ सजा के तौर पर जो चीजें उन्हें सबसे ज्यादा पसंद हो उन्हें उनसे दूर किया जा सकता है जो कि सजा का एक दूसरा स्वरूप ही है, इस प्रकार आप अपने बच्चों के व्यवहारों को अपने अनुरूप ढाल सकते हैं। अंत में डॉ अनीता मोरल, मनोविज्ञान विभाग मेरठ कॉलेज मेरठ ने महिलाओं से सीधे बातचीत के माध्यम से उन्हें समझाने की कोशिश कि जिस प्रकार शारीरिक समस्याएं हमारे लिए जरूरी है, उसी प्रकार मानसिक समस्याएं भी हम सबकी जिंदगी में अपना घर बनाती जा रही हैं। सामान्य जिंदगी में हम जब कभी भी परेशान होते हैं तो वह बातें हमारे दिमाग में हर वक्त घूम-कर हमारे मानसिक स्थिति को भी खराब करती हैं और उस समय हमारे द्वारा किया जाने वाला कार्य भी प्रभावित होता रहता है। उससे बचने का एक बेहतर साधन है कि जिस प्रकार आप आपके काम के बीच आने वाले लोगों को कहकर खुद से दूर करते हैं कि "अभी आप जाइए अभी मैं काम कर रही हूं" उसी प्रकार आप अपने मन को भी चुप कर सकते हैं कि "अभी इस बारे में हमें नहीं सोचना है, जब मैं अपना काम कर लूंगी उसके बाद सोचूंगी" इस प्रकार आप अपनी मनःस्थिति काफी हद तक सवयं ठीक कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थितियों में हमें समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और जल्द ही किसी न किसी व्यक्ति से अपनी बातें साझा कर समस्याओं से अपने आप को जल्दी से जल्दी बाहर निकालने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के कई तरीकों के बारे में बातचीत के माध्यम से बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मनोज कुमार ने किया एवं गांव की लगभग 35 से ज्यादा महिलाओं ने इसमें भागीदारी की।

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