अप्रवासी भारतीयों के लिए आयोजित हुई कवि युगल संध्या

 


-जैन सोसाइटी सियाटल अमेरिका द्वारा आयोजित हुआ क्षमावाणी पर्व

मेरठ। जैन सोसाइटी सियाटल अमेरिका द्वारा आयोजित क्षमावाणी पर्व के उपलक्ष्य में ऑनलाइन कवियुगल संध्या का आयोजन किया गया। सियाटल में 2 अक्टूबर की शाम 6 बजे से एवं भारतीय समयानुसार 3 अक्टूबर की सुबह 6:30 बजे से प्रारम्भ हुए इस समारोह में देश के एकमात्र कवियुगल प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. अनामिका जैन अम्बर एवं एक न्यूज़ चैनल के कवियुद्ध संचालक कवि सौरभ जैन सुमन ने काव्यपाठ किया।

इस कार्यक्रम का प्रसारण 22 देशों में यूट्यूब के माध्यम से किया गया, जिसमें विश्वभर के जैन समुदाय से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। सियाटल के मनीष जैन इस कार्यक्रम के संयोजक थे, सियाटल अमेरिका में जैन समाज के प्रमुख तीनों आमनाय दिगम्बर, श्वेताम्बर एवं स्थानकवासी समाज का संयुक्त मंदिर बनने जा रहा है। उसी संदर्भ में वहां की समाज ने क्षमावाणी पर्व का भव्य आयोजन किया। इस आयोजन में तीनों आमनाय के साधु संतों ने भी ऑनलाइन जुड़कर अपने भाव आशीष दिए। सुबह 6:30 बजे शुरू हुए इस समारोह का समापन भारतीय समयानुसार 11 बजे हुआ। लगभग 3 घण्टे काव्य पाठ सुना गया।

मजा विदेश की धरती में नहीं अपने देश की माटी में है

डॉ. आनमिक जैन अम्बर ने सर्वप्रथम नवकार मंत्र पढ़कर माँ सरस्वती की वंदना से कार्यक्रम आरंभ किया। कवि सौरभ सुमन ने अपनी प्रसिद्ध कविता इतिहास पढ़ी, उन्होंने महारानी पद्मिनी की बात करते हुए कहा अप्रत्तिम था सौंदर्य रूप जो मोम की भांति गला दिया। खिलजी के मुह पर थूक के तन तपती लपटों में जला दिया। वहीं उन्होंने विदेश में रह रहे भारतीयों के लिए कहा जो मजा बाजार के पिज़्ज़ा बर्गर में नही माँ के हाथों से बनी दाल बाटी में है, वही मजा विदेश की धरती में नहीं अपने देश की माटी में है।


आप से है प्रार्थना मुझको क्षमा कर दीजिए

डॉ. अनामिका अम्बर ने कहा कहा-कहाँ तक जाती अम्बर, आंखों की ज़द याद रहे। ख्वाब भले दुनिया के घूमे पर हमको हद याद रहे, सीढ़ी चढ़कर आसमान तक जाना बेहद मुश्किल है, तलब चांद की रखने वालों को अपना कद याद रहे। क्षमावाणी पर उन्होंने कहा याचना मैं कर सकूं परमात्मा कर दीजिए, क्रोध के तम को विदा कर पूर्णिमा कर दीजिए, भूल होना है स्वाभाविक तो सभी कुछ भूलकर, आप से है प्रार्थना मुझको क्षमा कर दीजिए। 

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