लॉक डाउन के चलते बसों का संचालन बन्द होने से बस मालिकों पर आर्थिक संकट गहराया-लॉक डाउन में 40 दिनों से खड़ी बसों पर चढ़ रहे टैक्स की चिंता, बस मालिकों पर मानसिक दवाब।


बस कारोबार से जुड़े सैकड़ो परिवारों के सामने आर्थिक संकट।बसें बन्द होने के बावजूद टैक्स बीमे व स्टाफ की तनख्वाह का चढ़ रहा बस मालिकों पर बोझ।


नईम चौधरी


मीरापुर।। कोरोना के कारण पूरे देश मे लॉक डाउन लागू होने से प्राइवेट बसों का संचालन बन्द होने से बस मालिकों के सामने आर्थिक संकट  गहराने लगा है।बसें खड़ी होने के बावजूद टैक्स, बीमे व स्टाफ की तन्खवाह लगातार  बस मालिकों के ऊपर चढ़ रही है।बस कारोबार से जुड़े सैकड़ो परिवारों की चिंता लगातार बढ़ रही है।बस मालिकों ने सरकार से टैक्स माफ करने व बीमे का समय बढ़ाने के साथ साथ आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की है।
वैसे तो कोरोना महामारी के चलते   देश मे लागू लॉक डाउन से ज्यादातर लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।किन्तु उन लोगों पर तो मानो मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है जिनके रोजी-रोटी का साधन तो लॉक डाउन के चलते खत्म हो ही गया है।किन्तु इसके बावजूद भी प्रतिदिन उनपर हजारों रुपये रोज की देनदारी चढ़ रही है।ये हाल है मुज़फ्फरनगर के प्राइवेट बस संचालकों का।जनपद में मीरापुर-मुज़फ्फरनगर,खतौली-मीरापुर-खतौली-शुक्रताल व मुज़फ्फरनगर-भोपा मार्ग पर  करीब 80 प्राइवेट बसें चलती है।इस बसों के कारोबर से सैकड़ो परिवारों की जीविका चलती है।जो कि पूरी तरह इस कारोबार पर ही निर्भर है।किन्तु 25 मार्च को देश मे कोरोना के चलते लॉक डाउन लागू किये जाने के बाद से ही सभी प्राइवेट बसों का संचालन बन्द हो गया था।तथा सभी बसें खड़ी हो गया थी और बस कारोबार से जुड़े सभी लोग भी कारोबार बन्द होने से घर मे कैद हो गए।किन्तु  इसके बावजूद भी बस मालिकों के ऊपर टैक्स, बीमे व स्टाफ की तनख्वाह की देनदारी लगातार चढ़ रही है।जिसके चलते बस मालिकों के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है।व्यापार बन्द होने के बावजूद भी चढ़ रहे टैक्स की चिंता अब बस मालिकों को मानसिक तनाव देने लगी है। मुज़फ्फरनगर-बहसूमा बस यूनियन के सेकेट्री कुलदीप कंसल बताते है।कि बसों का संचालन बन्द होने से बस मालिकों के साथ साथ इस कारोबार से जुड़े चालक-परिचालकों के भी सैकड़ो परिवारों के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है।बस मालिक मनीष गोयल,अजय अग्रवाल,मुम्तियाज अली,सुशील शर्मा,संजय अग्रवाल,अतुल जैन,सुमित कुच्छल,शकील अहमद,अनुज गोयल,प्रमोद शर्मा,महराज अली,सुरेश चन्द गुप्ता,आदि ने सरकार से बसों के एक वर्ष तक का टैक्स खत्म करने,बीमे में एक वर्ष की समय सीमा बढ़ाने के साथ साथ बस मालिकों के लिए आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की है।देखना अब ये है कि सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रहे बस कारोबार से जुड़े लोगों के बारे में क्या सोचती है।


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