नारी तू नारायणी ओजस्विता और संहजता का श्रृंगारणि, तू अद्भुत कृपा निर्धारणी

 


 


 


 


(अवतोष शर्मा स्वतंत्र पत्रकार)



नारी तू नारायणी यह आपने सुना होगा नारी से ही घर की शोभा है। नारी से ही देवताओं की भी शोभा है , नारी को कमजोर मानने वालों के लिए आज हम आपको बताना चाहते हैं। हमें अपने शास्त्रों का भी अध्यन करना चाहिए, माता गौरी सदा से ही शंकर भगवान की आराधना करती थी, परंतु जब उन्हें क्रोध आया और उन्हें चंडिका का रूप धारण करा , तो महादेव जी की भी हिम्मत न हुई कि वे उन्हें अपनी शक्ति से रोक पाए , उनके विकराल रूप को देखकर भोले बाबा ने अपने कदम पीछे खींच लिए और शीघ्र ही उनके सम्मुख लेट गए नृत्य करते- करते , जब चंडिका माता महादेव के ऊपर चढ़ी ,तब उन्हें ज्ञात हुआ कि महादेव क्या कहना चाहते हैं। और उन्हें आभास हुआ कि महादेव के ऊपर अपने चरण रखना उनसे अपराध हुआ क्योंकि महिलाओं के लिए पति हमेशा से ही पूजनीय रहता है ,और इस प्रकार महादेव ने उस चंडिका के रूप से विरोध करने के बजाए अपना समर्पण करना ही उत्तम समझा , दूसरा प्रश्न रामायण काल का है, वनवास में सीता सदा रामजी का आदर सत्कार ही करती रही जब उन्होंने भगवान राम से हीरन को लाने के लिए हट किया ,तो भगवान राम ने अपना समर्पण दिखाते हुए ना चाहते हुए भी हिरण की खोज में निकलना ही उत्तम समझा । तात्पर्य नारी के हट के सामने रामजी ने अपनी विवशता दिखाई। राजा दशरथ का उदाहरण तो आप सबके सामने है, जब नारी अपना चंडी का रूप धारण करती है ,तो किस तरह परिवार का विनाश कर देती है यह आप सब लोग जानते ही होंगे। दूसरा प्रसंग महाभारत का है, जब द्रोपदी ने हट पकड़ी और प्रतिज्ञा की कि वह दुर्योधन के रक्त से ही अपने केश धोयेगी। द्रौपदी ने पांडवों को विवश कर अपनी हट पूरी ही कराई । नारी को ममता की प्रतिमूर्ति कहा जाता है। दया और शालीनता उसके आभूषण है, बड़े से बड़े अपराध को क्षमा करना उसके स्वभाव में शामिल है पर पुरुषों को यह नारी की कमजोरी नहीं समझनी चाहिए जब वह चंडीका का रूप धारण करती है, तो पुरुषों का सारा पुरुष पन रखा ही रह जाता है । जब देवता लोग भी नारी के हट के सामने अपना समर्पण करते दिखाई देते हैं ,तो फिर आम पुरुष की क्या बात। नारी पुरुष से केवल एक ही चीज चाहती हैं प्रेम और सम्मान यदि दोनों चीजें उसे मिलती रहे ,तो वह सदा ही पुरुषों को सम्मान और आदर सत्कार देती रहती है । एक घर को मंदिर बना देती है ।तुम नारी की शक्ति को कम मत मानना उसका चरित्र इतना विराट है , कि वह  मौत तक से टक्कर ले जाती है ,और मोत को भी मात दे देती है, सावित्री इसका जीता जागता उदाहरण है। आज कलयुग में सब लोग हनुमान जी की पूजा करते हैं, इसके पीछे भी सीता माता का ही प्रताप है , कि आज हनुमान जी इतने पूजे जा रहे हैं। अशोक वाटिका में सीता जी ने उन्हें अजय,अमर नव निधि- सिद्धियां, और भगवान राम के चरणों की अनंत भक्ति का वरदान दिया था। उनके ही वरदान का प्रताप है की हनुमान जी कलयुग में जिंदा है ,और घर-घर पूजे जा रहे है।


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