देश मे आर्थिक मंदी पर विचार- मंथन जरूरी: दुर्गा


बिगड़ती अर्थव्यवस्था को संभालने में सरकार को उठाने होंगे कदम


IMRAN CHOUDHRY
देहरादून। कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव में हुवे लॉक डाउन के बीच देश में आर्थिक मंदी पर विचार मंथन भी जरूरी है। आर्थिक व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर सरकार को भी इस तरफ ध्यान देना जरूरी है। लॉक डाउन के दौरान  बेरोजगारी एक विकराल रूप लेती जा रही है। जिससे लोगों का जीना दूभर होता जा रहा है। इस वक्त बुद्धिजीव वर्गो की मानें तो आने वाले समय में देश के सामने यह एक बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी।जिससे  निपटना कठिन हो जाएगा। समय के रहते अगर इसका उपाय नहीं ढूंढा तो पूरा देश आर्थिक मंदी से जूझने पर मजबूर हो जाएगा। दून के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज एवं दुर्गा कंपनीज के चेयरमैन दुर्गा वर्मा ने सरकार से भी अपील करते हुए कहा कि जो नगदी हमारे हाथों में है। उसे भी सरकार को देश में परफॉर्म करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के बंटवारे के समय  14 लाख करोड़ की नगदी देश के हाथों में थी। जो कि आज बढ़कर 21 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा चलन में हो गई है। सरकार के पास  जो 21 करोड़  रुपए से ज्यादा की  धनराशि  जमा है  उसका  देश में परफॉर्म कराना  जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि या तो यह धनराशि परफॉर्म नहीं कर रही है या फिर अंडरपरफॉर्म है। मार्केट में इस नगदी के न आने  से मार्केट का अस्तर नीचे जा रहा है। देश सहित राज्य के उद्योगपति अपना कारोबार नहीं बढ़ा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन सब के पीछे क्या कारण है। इस पर भी सरकार को ध्यान देना होगा। क्योंकि बंटवारे के समय दो लाख रुपयो  की कैंपिंग प्रत्येक व्यक्ति को उस वक्त सरकार ने निर्धारित की गई थी। अब समय आ गया है कि देश में दो लाख की कैंपिंग को  आगे बढ़ाया जाए।दो लाख 
से ज्यादा की उस वक्त लोग खरीदारी नहीं कर सकते थे। अब ज्यादातर लोग नगद सामान खरीदने से डरने लगे हैं। और वह जो 21 लाख करोड़ से ज्यादा धनराशि सरकार के पास है। उसे देश के सामने लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए कि लॉक डाउन के बीच ओर कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के बीच जूझ रहे लोगों को आर्थिक मंदी से कैसे उभारा जाए। संकट की इस घड़ी में लोग तराई तराई हो रहे हैं। अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार को कुछ कठोर निर्णय भी लेने पड़ेंगे। जिससे लोगों की फिर से जिंदगी सामान्य पटरी पर आ सके। उन्होंने कहा कि हम सभी देशवासियों का कर्तव्य बनता है कि इस घड़ी में एकजुट होकर कोरोना जैसी  महामारी से लड़े और साथ ही अपने देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को भी सुधारने में अपने कर्तव्यों का पालन करें।


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