अम्लपित्त (हाईपर-एसिडिटी ) क्या होता है विस्तार से बता रहे Dr satendra


...... ‌…….........................
 चिकित्सीय भाषा में एसिडिटी को गैस्ट्रोएसोफेजियल डिजीज कहा जाता है आयुर्वेद में इसे अम्लपित्त कहते हैं ।
कारण :
आधुनिक विज्ञान के अनुसार पाचन क्रिया को सुचारू रूप से लिए  चलाने के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है तथा भोजन नली के संपर्क में नहीं आता आमाशय तथा भोजन नली के जोड़ पर विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती हैं जो अपनी सर्वोच्च संकुचन शीलता के कारण आमाश्यवभोजन प्रणाली का रास्ता बंद रखती हैं हां कुछ खाते पीते ही खुलती हैं जब इनमें कोई विकृति आ जाती है तो कई बार अपने आप खुल जाती हैं और एसिड तथापेप्सिन भोजन नली में आ जाता है जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन और घाव हो जाता है।
लक्षण:
एसिडिटी का प्रमुख लक्षण है रोगी के सीने और छाती में जलन अनेक बार एसिडिटी की वजह से सीने में दर्द होने लगता है मुंह में खट्टा पानी आता है। जब यह तकलीफ बार-बार जब यह तकलीफ बार-बार होती है तो गंभीर समस्या का रूप धारण कर लेती है एसिडिटी के कारण कई बार रोगी ऐसा महसूस करता है जैसे भोजन उसके गले में आ रहा है या कई बार डकार के साथ खाना मुंह में आ जाता है रात्रि में सोते समय इस तरह की शिकायत ज्यादा होती है। ऐसे में कई बार भोजन , भोजन नली से सांस की नली में पहुंच जाता है जिससे मरीज को दमा खांसी की तकलीफ हो सकती है कभी-कभी मुंह में खट्टा पानी के साथ खून भी आ जाता है।
जटिलताएं:
दोनों प्रकार के अल्सर होने से (गेस्ट्रिक व‌ पेप्टिक)अम्लकी तीव्रता बढ़ने पर खून की उल्टियां हो सकती है। लंबे समय तक अल्सर रहने से आमाशय में जाने वाला रास्ता सिकुड़ जाता है जिससे रोगी को तीव्र वमनहोने लगती है कभी-कभी अल्सर फूट जाता है जिससे पूरे पेट में संक्रमण हो जाता है तथा पेट में तेज दर्द रहने लगता है, लंबे समय तक अल्सर रहने से कैंसर होने का खतरा हो जाता है।
निदान :


इस रोग में बेरियम एक्सरे,  एंडोस्कोपी, सोनोग्राफी के जरिए रोग की जटिलता का पता लगाकर इलाज शुरू किया जाता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा:
   1) अविपत्तिकर चूर्ण 5 ग्राम सुबह-शाम भोजन करने से पहले।
2)प्रवालपिष्टी 125 मिग्रा,
    कपर्दक भस्म 125 मिग्रा क्षय
     सत्वगिलोय 250 मिग्रा


      सूतशेखर रस 125 मिग्रा
       सुबह शाम शहद के साथ।
3)कुमार्यासव 20 मिली बराबर जल मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद।
विशेष: यदि पेट में गैस ज्यादा बन रही हो तो हिंग्वाष्टक चूर्ण 500 मिग्रा सुबह शाम भोजन के प्रथम ग्रास में।( चूर्ण लेने की विधि  एक चम्मच सब्जी,एक चम्मच देशी घी,500 मिली ग्राम चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम भोजन के पहले ग्रास में ले )
पथ्य:1)हल्का व सुपाच्य भोजन करें।
2)हरि सब्जी का प्रयोग करें।
3) भोजन से पहले एक चम्मच बादाम रोगन लें।
अपथ्य: 1)तली ,भुनी मिर्च मसालों का प्रयोग न करें।
2) शराब, तम्बाकू,बीडी सिगरेट का प्रयोग न करें।


 


: डाक्टर सतेन्द्र सिंह
1192/1 साउथ civil line मुजफ्फरनगर।
मोबाइल नंबर 9837447742


Popular posts from this blog

मदरसों को बंद करने की रची जा रही साजिश.. जमियत ने नोटिसो को बताया साजिश

गंधक व पोटाश मिलाते समय किशोर की मौत

श्री द्रोणाचार्य पी जी कॉलेज दनकौर के इतिहास विभाग द्वारा किया गया नवाचार