फ़िज़ा को जहरीला कर रहे गुड़ कोल्हू

मुज़फ्फरनगर।जिस नाव में बैठे उसी में छेद करना तो कोई गुड़ कोल्हू संचालकों से सीखे अपने मतलब के लिये गुड़ कोल्हू संचालक पर्यावरण सुरक्षा को धता बताकर हवा में ज़हर घोल रहे हैं ।


गुड़ कोल्हुओं में लगे पुराने जूते चप्पलों सहित  कबाडे की अन्य वस्तुओं को कोल्हू में जलाकर प्रदूषण को बढ़ाया जा रहा है लाख समझाने के बावजूद थे ठीट हो चुके कोल्हू संचालक सुधरने का नाम नहीं ले रहे गन्ने की खोई  को पेपर्स मिलो में बेंचकर गन्ने की पत्तियों के साथ जूते चप्पल ईंधन के रूप मे जला रहें हैं वहीं ग्रामीणों की बार -बार शिकायत पर गुड़ कोल्हुओं में पहुँचे सरकारी अधिकारी जेबे  गर्म बिना किसी कार्रवाई के लौट जा रहे हैं खोई के स्थान पर प्लास्टिक आदि जलाने वाले गुड़ कोल्हू संचालकों के खिलाफ आम जन में भारी रोष पनपने लगा है गुड़ कोल्हुओं की चिमनियों से निकलता ज़हरीला काला धुँआ पर्यावरण बचाने के सारे प्रयासों पर पानी फेरने के लिये काफ़ी है।मुख्य मार्गों पर स्थित गुड़ कोल्हुओं के बराबर से गुजरते सरकारी अधिकारियों की ख़ामोशी,  बेबसी है या लापरवाही अथवा साँठगाँठ, किन्तु सभी के लिये अनचाहा ज़हर परोसने का जिम्मेदार शासन प्रशासन ही है।


काज़ी अमजद अली


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