बसपा की बगावत खिला सकती है गुल

बाबा साहेब के सपने को चकना चूर करने में लगे बसपा के अपने !



राजनीती में लगातार कमजोर हो रही बहुजन समाज पार्टी मौजूदा दौर में खुद के वजूद के लिए कमर कस रही है। दलित मुस्लिम गठजोड़ के साथ भारत मे दलितों की सरकार बनाने का सपना देखने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का यह खावाब वेसे तो कई नेता आगे लेकर चलते रहे है मगर अब शायद यह एक खावाब ही बन कर रह सकता है। मौजूदा दौर में बसपा में बगावत का बिगुल बज चुका है और बसपा के अपने ही पार्टी की फजीहत करने से परहेज नही कर रहे है। पार्टी का वोट बैंक कहे जाने वाले दलित ही अब पार्टी में मुस्लिमो को पचा नही पा रहे है।इक्का दुक्का मुस्लिम को भी कई लोग सिर्फ हाशिये पर देखने की तमन्ना दिल मे बसाए हुए है। हाल ही में मुजफ्फरनगर में हुआ प्रदर्शन के बाद जहा बसपा का मैनेजमेंट हिला है वही पार्टी की फजीहत करने वाले भी खुल कर सामने आए है। अगर बसपा की बात करे तो पार्टी ने हर बार दलित मुस्लिम गठजोड़ से ही सत्ता हासिल की। वही लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने गठबंधन से ही जीरो से 10 सांसदों का सफर पूरा किया । 



मुनकाद की रह चुकी है प्रदेश में मजबूत पकड़


उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा पूर्व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली को  प्रदेश प्रभारी बनाए जाने के बाद । मुस्लिमो को भी बसपा से पहले से ज्यादा गहराई तक पार्टी से जुड़ने का मौका मिला है क्यों कि अधिकतर देखने मे आया है कि मुस्लिमो में यही धारणा रही है कि बसपा में कोई बड़ा पड़ मुस्लिम को नही मिलता ऐसे में मुनकाद अली की ताज पोशी बसपा के लिए दलित मुस्लिम गठजोड़ के लिए मुफीद साबित होगी। वही मुनकाद अली की पकड़ भी जमीनी मानी जाती है और वह लोगो को व्यक्तिगत रूप से भी अच्छी तरह जानते है।


 


आरोपो के बल पर दलित मुस्लिम गठजोड कमजोर करने की कोशिश



2 दिन पूर्व बसपा के ज़िला अध्यक्ष कमल गौतम ने जहा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी की फजीहत की वही। उन्होंने शोशल मीडिया व अपने वट्सअप ग्रुप पर मुनकाद अली सहित , पूर्व विधायक अनिल कुमार व ज़िया उर्रहमान पर  गम्भीर  आरोप लगाए थे । जिसकी वजह से दलित मुस्लिम समीकरण पर भी आंच आई इसी के साथ साथ ज़िला अध्यक्ष ने  पार्टी के आदेशों को भी मानने से साफ इनकार किया । मुज़फ्फर नगर से बगावत की उठी चिंगारी कब विकराल रूप ले यह कोई नही जानता।लेकिन यह तय है कि जिस तरह निष्कासित हुए नेताओ ने पार्टी के आदेशों को मानने से इनकार किया और उल्टे पार्टी के खिलाफ पद यात्रा निकालने की बात कही वह बसपा के लिए अच्छा संकेत नही है। मुज़फ्फर नगर के जिला अध्यक्ष  कमल गौतम के निष्कासन के बाद अब कलह खुल कर सामने आई है। अगर बसपा सुप्रीमो ने इस मामले में प्रदर्शन करने वालो को जरा सी भी तरजीह दी तो शायद आने वाले दौर में यह प्रदर्शन आम हो सकते है।


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