मज़ार व मंदिर दोनों की ही देखभाल करते है सुशील गुप्ता

जिला उन्नाव विकासखंड मुरादाबाद की सुल्तानपुर में आज एक बार फिर हिंदू मुस्लिम के प्रति एक अच्छा भाईचारा देखने को मिला है यहाँ के हिंदू व मुस्लिम भाई कभी एक दूसरे  जाति धर्म को नही देखते हुए आपस में एक ही भाई बहनों की रिश्तो की तरह बनकर रहते हैं मुस्लिम के नाम पर तरह-तरह की टिप्पणियां करने वालों को एक सीख लेनी चाहिए कि आज भी हिंदू मुस्लिम मैं किस तरह का एक दूसरे में प्यार आज भी बना हुआ।



आज हम आपको एक ऐसी चीज दिखाने जा रहे हैं जहां हिंदू मुस्लिम को लेकर तरह तरह के विवाद चल रहे हैं दूसरी ओर हिंदू मुस्लिम के प्रति एक दूसरे में कितना भाईचारा है इसका अंदाजा आज आपको एक बार फिर देखने को मिलेगा सुशील गुप्ता की अपनी निजी संपत्ति होते हुए भी एक तरफ तो पुरानी मजार दूसरी और मंदिर बानी है जब हमने बात की। तो इनकी हकीकत जुबानी सुनी तो वाकई लगता है अभी भी इंसानियत ज़िंदा है सुशील गुप्ता जी ने बताया की  हमारे पुरखों के टाइम की पुरानी मजार है और उसी के साथ मंदिर है जिनकी देखरेख हम दोनों की एक ही मन से करते हैं जिस तरह से हमारे बड़े करते हैं वही परंपरा आज हम भी निभा रहे हैं और निभाते रहेंगे और यहाँ पर अगर कोई  सच्चे दिल से अपनी आस्था के साथ  मुराद लेकर आता है तो उसकी मुराद पूरी होती है और हम अब से नहीं हमारी कई पीढ़ियां गुजर गई आज तक हमने समझा ही नहीं हिंदू मुस्लिम होता क्या है यहां तो सिर्फ भाई और भाईचारा है और रहेगा


*उन्नाव में कुछ इस तरह का को देखने को मिला जो कि अपनी निजी संपत्ति पर सुशील गुप्ता जी ने मज़ार मंदिर को बनाया हुआ है जोकि सड़े पांच  सो 5:30 साल पुरानी है जोकि पहले उनके बड़े  देख रेख करते आए है और अब सुशील गुप्ता जी कर रहे है आज भी यहां पर हिंदू मुस्लिम एक साथ मिलजुल कर रहते है*


*जी हां हम बात कर रहे हैं आज जिला उन्नाव गंज मुरादाबाद विकासखंड सुल्तानपुर गांव की दूरी गंज मुरादाबाद से 3 किलोमीटर है पर आज भी एक मिसाल काम होती दिख रही है जो कि यहां के रहने वाले हैं सुशील गुप्ता जीने बताया कि सच्चे दिल से यहां पर कई अपनी आस्था रखता है तो उसकी  मुरादें पूरी होती है जो कि आज भी यहां हिंदू-मुस्लिम के प्रति एक अच्छा संदेश मिलता है


और कम से कम 8 से,10 वी पीढ़ी से है ये मज़ार बना हुआ है  आज तक जैसे कि हम मंदिर की देखभाल करते हैं वैसे ही मजार की दोनों को बराबर ही मानते आ रहे है और मानते रहंगे जैसा कि पहले हमारे बड़े करते आए है और अब उसी तरह से  हम देख रेख कर रहे है और हम एक दूसरे के प्रति कोई हिंदू मुस्लिम वाली भावना नही रखते है


 मेरा नाम शुशील गुप्ता हैं और ये मेरी पर्सनल सम्पत्ति है  लेकिन कभी-कभी आज भी कुछ जगह ऐसी होती है जो अपनी छाप छोड़ने में साबित होती है आपको बताना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश के  मुरादाबाद के सुल्तानपुर गाँव के संरक्षण में मजार है मजार के संरक्षण में मंदिर है दोनों ही एक दूसरे के सरंक्षण में रहने वाले सुशील गुप्ता जी इस इतिहास है इसके बारे में आप क्या ओर कितना पता तो जब पूरी हकीकत जानने की कोशिश की यह मजार कब बनी और कब मंदिर बनी यह दोनों ही एक दूसरे के पुरको से  देखने में को मिलती है कि जहाँ एक तरफ देश में बहुत सारी जगह ऐसी है जहां मंदिर मस्जिद को लेकर तरह तरह का विवाद छिड़ा हुआ लेकिन यहाँ ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता यहां पर सिर्फ एक ऐसी चीज देखने को मिलती है  सिर्फ और सिर्फ भाईचारा आपस में प्यार मोहब्बत


 


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