जिनके सहारे सत्ता में आये,आज उन्ही के साथ टकराव क्यो??? बता रहे है कमल मित्तल

 सिसौली। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के प्रसाद स्वरूप सत्ता में आई केंद्र सरकार और फिर उसी बैसाखी के सहारे प्रदेश में आई तत्कालीन  सरकार लगातार ऐसी योजनाओ का इस्तेमाल करती रही है या कर रही है. जिसका उन्हें आने वाले चुनाव में उन्हें भरपूर फायदा मिल सके और वे सत्ता में वापसी सुनिश्चित कर सकें ।उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि वह जिन लोगों को अपने विरोध में खड़ा कर रहे हैं गत चुनाव में  उनके सबसे बड़े समर्थक वे लोग ही थे ।उन्हें सिर्फ अपने स्वार्थ सिद्धि और अपने एजेंडे पर काम करना है ।

सिसौली में गत दिवस सत्ताधारी दल के विधायक के साथ हुई घटना  आगामी चुनाव की दस्तक है ,जिसमें सत्ताधारी दल के विधायक अपने सत्ताधारी दल के ऐजेण्डे के अनुसार , जैसा कि उन्हें लगता है कि जाट जो पश्चिम उत्तर प्रदेश की प्रमुख जाति है उसका रुख इस बार किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोत्र जयंत चौधरी की ओर मुड़ता दिखाई दे रहा है। ऐसे में उन्होंने जाट जाति के लोगों में फूट  डालने की योजना बना डाली। योजना तभी  कारगर हो सकती थी जब जाट जाति के लोगों में आपस में मारपीट हो और कुछ लोग जेल जाए।

 सिसौली की घटना देखने से प्रतीत होता है कि अगर सत्ताधारी दल के विधायक चुपचाप सिसौली अपने कार्यक्रम में आते तो शायद किसी को पता ही न चलता, कि सिसौली में विधायक आए हैं  या नही।

 लेकिन जब सिसौली के लिए विधायक आते हैं तो वह दो किलोमीटर  पहले से ही हूटर बजवाना शुरू कर देते हैं ताकि सिसौली क्षेत्र के लोगों  उनके आने की जानकारी हो जाए। 

सच तो यह है कि यही शुरू होता है  सत्ताधारी दल के विधायक का खेल ‌। विधायक की इच्छा के अनुरूप क्षेत्र के किसानों में यह चर्चा होने में कुछ मिनट ही लगते हैं कि क्षेत्रीय विधायक आज सिसौली के एक कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं। कुछ उग्र किसान  विरोध स्वरूप उस घर के पास जमा हो जाते हैं जहां विधायक बैठे होते हैं । विधायक जब तक उस घेर में बैठे रहते हैं जब तक बाहर सैकड़ों की संख्या में लोग इकट्ठा नहीं होते । फिर यह पता चलने पर कि सैकड़ों लोग घेर के बाहर इकट्ठा हो गए हैं ,तब विधायक फिर अपनी गाड़ी का हूटर बजवाकर तेजी से निकलते है। हूटर की आवाज सुन लोग हाथ में लिए काले तेल की शीशी विधायक की गाड़ी पर फेंकते हैं और अपना विरोध प्रदर्शन करते हैं। पुलिस विरोध प्रदर्शन करने वाले युवाओं को रोकती है कार्यक्रम के आयोजकों से भी युवाओं की झड़प होती है और सत्ताधारी दल के विधायक अपनी योजना में पूर्ण रूप से सफल हो जाते हैं।  हम समझ रहे होंगे कि विधायक का किसानों ने विरोध किया है , लेकिन हमारी सोच गलत है किसान तो सत्ताधारी  दल के विधायक का खिलौना बनाए गए हैं। बताया जाता है कि हूटर बजाना भी हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना है, लेकिन पुलिस प्रशासन ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा कब लिखेगा जो हूटर की आड में दंगा कराने की योजना बनाए बैठे हैं।


              कमल मित्तल

Sociol activist and sr journalist 

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