संस्थागत प्रसव के बारे में गर्भवती महिलाओं को किया जागरूक
रविता
मुजफ्फरनगर। जिला महिला अस्पताल में सुरक्षित संस्थागत प्रसव के बारे में गर्भवती महिलाओं को जागरूक किया गया। उन्हें बताया गया कि संस्थागत प्रसव कराने से शिशु व मातृ मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। संस्थागत प्रसव नहीं कराने से नवजात संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। सुरक्षित प्रसव कुशल चिकित्सक और कर्मचारियों की देखरेख में सरकारी अस्पतालों में कराना ही सही होता है।
महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) अमिता गर्ग ने बताया संस्थागत प्रसव का मुख्य उद्देश्य मातृ और शिशु मृत्यु को रोकना है। पहले घरों में प्रसव होते थे जो जच्चा बच्चा के लिए सुरक्षित नहीं होते थे। इससे दोनों की जान को खतरा रहता था। संस्थागत प्रसव से किसी भी खतरे को समय रहते पहचाना जा सकता है। सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलायी जा रही हैं।
जननी सुरक्षा योजना
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत यह योजना केंद्र सरकार द्वारा सन 2005 में शुरू की गयी थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करना है। इस योजना के अंतर्गत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये दिये जाते हैं। गर्भवती महिला के पंजीकरण से लेकर प्रसव तक आशा कार्यकर्ता की मुख्य भूमिका होती है। योजना के अंतर्गत मुफ्त एंबुलेंस सेवा, मुफ्त खाना, मुफ्त सी सेक्शन ऑपरेशन, मुफ्त में खून चढ़ाना आदि शामिल है। उन्होंने बताया जो भी महिला सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए आती हैं वह स्वयं ही जननी सुरक्षा योजना के लिए पात्र हो जाती हैं।
संस्थागत प्रसव कराने वाली महिलाएं
साल (अप्रैल–मार्च) महिलाएं
2017- 2018 30612
2018 -2019 29934
2019- 2020 (दिसंबर तक ) 18722
संस्थागत प्रसव के फायदे
• कुशल एवं प्रशिक्षित डॉक्टर की देखरेख में होता है, जो किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम होते हैं
• दवा और उपकरण की सुलभता
• किसी भी गंभीर स्थिति की समय रहते पहचान
• जच्चा और बच्चा की समुचित देखभाल
• शिशु और मातृ मृत्यु दर पर अंकुश
• प्रसव के बाद माँ और बच्चे की सम्पूर्ण देखभाल