खाकी की लापरवाही से सरेआम कत्ल करने के 2 आरोपी अदालत से बरी

 



मुजफ्फरनगर में वर्ष 2016 में सरेआम हुई हत्या के मामले में नामजद दोनो हत्यारोपियों को अदालत ने सुनवाई के दौरान बरी कर दिया है। विवेचक की लापरवाही के साथ ही अभियोजन पक्ष भी इस मामले में गवाह पेश करने में सुस्त रहा। जिसके चलते यहां दोनो आरोपी आसानी से बरी होने में कामयाब हो गये। बताया जाता है कि 20 अक्टूबर 2016 को शहर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम रूकनपुर निवासी अश्वनी पुत्र सुभाष की गांव के ही अर्जुन व शुभम ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। हालांकि गोली लगने के बाद घायल को जिला अस्पताल लाया गया था, जहां से उसे मेरठ व दिल्ली रैफर किया गया। घटना के दो दिन बाद उपचार के दौरान घायल की मौत हो गई थी। इस मामले में मृतक के पिता सुभाष ने शहर कोतवाली पर अर्जुन व शुभम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। हत्या के प्रयास के मुकदमे को अश्वनी की मौत के बाद हत्या की धाराओं में तरमीम कर दिया गया था। मामले की जांच इंस्पेक्टर आनंद पोसवाल के पास थी। उन्होंने दोनो हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की। इस मामले की सुनवाई अपर जिला जज कोर्ट नं. 5 गैगेस्टर न्यायालय के जज राधेश्याम यादव के समक्ष हुई। जहां सहायक शासकीय अधिवक्ता ठा. सतेन्द्र सिंह ने अभियोजन के पक्ष में दो गवाह पेश किये। लेकिन मृतक के पिता सुभाष यह साबित नहीं कर पाये कि उनके बेटे की हत्या क्यो की गई। पहले तो उन्होंने अपने बयान में यह कह दिया कि उनके बेटे के सिर में दुकान से उठाकर बांट मारा गया था। इसके बाद एक ओर गवाह पेश किया गया। वह भी अपनी बात को सटीक नहीं कर पाया। अभियोजन पक्ष कमजोर साबित रहा। यहां तक की पांच गवाह भी कोर्ट में गवाही के लिए नहीं पहुंचे। आरोपी पक्ष के वकील एवं पूर्व शासकीय अधिवक्ता इनाम इलाही त्यागी ने बताया कि विवेचक आनंद पोसवाल ने नक्शा नजरी भी गलत बना रखा था। जिस स्थान पर हत्या हुई वहां का नक्शा भी सही नहीं था। इस जांच को विवेचक आंनद पोसवाल के अलावा इंस्पेक्टर चमन सिंह चावडा व सब इंस्पेक्टर जितेन्द्र शर्मा ने भी पूरा किया। लेकिन इन तीनो विवेचको की इतनी बडी लापरवाही रही कि दिल्ली में अश्वनी की मौत के बाद पंचनामा भरकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने वाले दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर कुनाल किशोर के बयान भी वे नहीं ले पाये। यहां तक की उनके द्वारा जो गोली थाने में जमा कराई थी। वह नहीं पेश हो पाई। हत्या के समय जो कपडे मृतक पहने हुआ था। उसके स्थान पर दूसरे कपडे पेश हो गये। कुल मिलाकर पुलिस व अभियोजन पक्ष की लापरवाही इतनी भारी पड़ी की अदालत में यह केस कमजोर हो गया। आरोपी पक्ष के अधिवक्ता इनाम इलाही त्यागी ने मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा। जिसके चलते अदालत ने दोनो आरोपियों को बरी कर दिया हैं।

क्यो की हत्या, नहीं बता पाये पिता

सरेआम जिसके बेटे का कत्ल हो जाये, उसके पिता अदालत में जज के सामने यह नहीं बता पाये कि उनके बेटे की हत्या किस वजह से की गई है। बताया जाता है कि सुनवाई के दौरान मृतक अश्वनी के पिता सुभाष से इस बारे में जिरह की गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके अलावा हत्या के समय जो कपडे पहने गये थे वह कपडे भी अदालत तक नहीं पहुंचे, बल्कि विवेचक आनंद पोसवाल की लापरवाही के चलते कपडे भी दूसरे पहुंचे।

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