बेदर्द जमाना-विकलांग को भी खाते से पैसे निकालने के लिए घन्टो इंतजार कराया,अपने खाते से पैसे निकालने आये दोनो पैर से विकलांग युवक को भी लाईन में लगे लोगों ने बिना नम्बर के अंदर नही जाने दिया

 


नईम चौधरी


मीरापुर। सरकार द्वारा लॉक डाउन के कारण लोगों की मदद के लिए उनके खातों में पाँच सौ व एक हज़ार रुपये की डाली गई रकम को निकालने बैंको पर उमड़ रही भीड़ जल्दबाजी के चक्कर मे मानवता भी भूलती नजर आ रही है।बैंक में अपने खाते से रुपये निकालने पहुँचे विकलांग युवक को भी भीड़ ने बिना नम्बर के अन्दर नही जाने दिया।बैंक पर लगी लाईन के कारण दुर्घटना में दोनों पैर गंवा चुके युवक को अपने खाते से पैसे निकालने के लिए घन्टो धूप में इंतजार करना पड़ा।
कहते है कि परेशानी के समय हर इंसान के अन्दर मानवता जाग उठती है।किन्तु मीरापुर के बैंको पर उमड़ने वाली भीड़ इसका उलटा नजारा पेश करती है।मात्र पाँच सौ व हज़ार रुपये निकालने के लिए बैंको पर आने वाली महिलाएं व पुरुष जल्दीबाजी के चक्कर मे मानवता से किनारा कर बैठे है।ऐसा ही एक बेदर्द नजारा सोमवार को मीरापुर की स्टेट बैंक शाखा पर देखने को मिला।हुआ यूं कि ग्राम जड़वड कटिया निवासी युवक कालूराम पुत्र श्याम सिंह के कुछ वर्ष पूर्व एक दुर्घटना में दोनों पैर कट गए थे।जिसके चलते वह पैरो से पूरी तरह विकलांग है।लॉक डाउन के चलते सोमवार को कालूराम गांव के ही एक युवक की मदद से उसकी बाईक पर सवार होकर अपने खाते से रुपये निकालने मीरापुर की स्टेट बैंक शाखा पर आया था किन्तु यहाँ पहले से ही काफी लम्बी लाईन लगी थी जिस पर विकलांग युवक अपनी मजबूरी के चलते बिना लाइन के अन्दर जाने लगा तो लाइन में लगी भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने इंसानियत को शर्मसार करते हुए कालूराम को बिना लाइन के अन्दर जाने से रोक दिया।जिसके बाद विकलांग कालूराम चुपचाप अपने साथी युवक की बाइक पर जाकर बैठ गया।तथा उसे रकम निकालने के लिए कड़ी धूप में घन्टो इन्तजार करना पड़ा।वही भीड़ में शामिल कुछ लोग कालूराम को बिना लाइन के बैंक के अंदर जाने देने के पक्ष में थे किन्तु लाइन में काफी देर से लगे कुछ लोगों के विरोध के चलते वे भी चुप हो गए।


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