कुष्ठ रोगियो की खोज के लिए आशा - स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण
मुजफ्फरनगर। रविता,। कुष्ठ रोग पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने कमर कस ली है। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में आशा कार्यकर्ताओं को कुष्ठ रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षण व संवेदीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्हें कुष्ठ रोग की पहचान व उससे मुक्ति पाने के उपाय बताये जा रहे हैं। प्रशिक्षण के बाद आशा कार्यकर्ता संगिनियों के साथ अपने-अपने क्षेत्रों में कुष्ठ रोगियों की खोज करेंगी और घर-घर जाकर परिवार के सदस्यों को त्वचा पर सफेद निशान, सुन्नपन आदि लक्षणों की जानकारी देंगी।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. अशोक ने बताया दो चरणों में चलने वाले घर-घर कुष्ठ रोगी खोज कार्यक्रम की शुरुआत पुरकाजी ब्लॉक से की गयी है। इसमें विभाग की ओर से कुल 7 टीमें लगाई गई हैं। उन्होंने बताया कुष्ठ रोग अनुवांशिक नहीं है। यह मायको बैक्टरियम लेप्री नामक कुष्ठ जीवाणुओं से होने वाली बीमारी है। आमतौर पर 18 फीसदी लोगों में कुष्ठ रोग से लड़ने की उत्तम रोग प्रतिरोधक शक्ति होती है। इसी लिये उन्हें कुष्ठ रोग नहीं होता है। कुष्ठ रोग के जीवाणुओं का शरीर में प्रवेश हो जाने के बाद अगर कुष्ठ रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो तो 3 से 5 साल में शरीर में कहीं भी कुष्ठरोग के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। उन्होंने बताया 100 नए कुष्ठ रोगियों में सिर्फ 10 से 15 रोगी ही संक्रामक होते हैं। ये रोग किसी को भी हो सकता है। कुष्ठ रोग की शुरुआत एक या अनेक दागों से हो सकती है। शरीर की त्वचा के रंग से फीका, लाल रंग या उभरा हुआ दाग कुष्ठ रोग का लक्षण हो सकता है। उन्होंने बताया अधिकांश ऐसे दाग-चकत्ते में सुन्नपन होता है। आकार या संख्या में धीरे-धीरे बढ़ऩे वाले, फैलने वाले दाग व चकत्तों को किसी भी हालत में अनदेखा न करें। प्रशिक्षण कार्यक्रम में आशा व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बताया गया कि अगर इस प्रकार के लक्षण किसी में मिलते हैं तो उसे चिह्नित कर उसका इलाज करायें ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. पीएस मिश्रा ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य कुष्ठ रोग के प्रति समाज में व्याप्त भ्रांतियों को समाप्त करना और लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है।