भँवरकली के हुक्के की फेसबुक के साथ गुड़गुड़ाहट
(काज़ी अमज़द अली)
शुकतीर्थ में आयोजित गंगा स्नान मेले में आयी भंवरकली पंवार ग्राम घटायन की निवासी हैं। एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाली 70 वर्षीय महिला भंवरकली अपनी कली (हुक्का) को गुडगुडा रही है। तिरपाल से बने टैंट में बैठी भँवरकली एक हाथ में हुक्के का पाईप है तो दूसरे हाथ में एन्ड्रॉयड मोबाईल रखती हैं।
भंवरकली ने बताया कि बदलते जमाने के साथ उन्होने खुद को बदल लिया है। हुक्का अगर पुरानेपन का एहसास कराता है तो एन्ड्रॉयड मोबाईल आधुनिकता का परिचय देता है। पिछले 5 दशकों से वह शुकतीर्थ मेले में आ रही है। कभी वह बहू थी आज वह पौत्रों की दादी है। भंवरकली को लोकगीत भी पसन्द है। कुछ नये गाने भी पसन्द है। भंवरकली हुक्का पीने के बावजूद युवाओं को नशे के सेवन से दूर रहने की बात करती हैं भँवरकली नये ज़माने को समय का परिवर्तन बताती हैं भँवरकली जी फेसबुक पर अपना अकाउन्ट बताती है।मेले में लगे तम्बुओं में बुज़ुर्गों की मौजूदगी न के बराबर ही है फिर भी कुछ तम्बुओं में नई पुराने दौर के संगम का दृश्य आपको मिल ही जायेगा भँवरकली जी का अंदाज़ भले ही पुराना हो पर नीरस बिलकुल नहीं है,भँवरकली जी का हुक्के की गुड़गुड़ाहट उनके आत्मविश्वास और जीवटता का एहसास करा रही है.