बढ़ती पाश्चात्य संस्कृति के बीच देवभूमि उत्तराखंड में पतिव्रता शीतल ने सती सावित्री की अनुभूति कराई

(अवतोष शर्मा)रुड़की छोटे से गांव झबरेड़ा से एक ऐसी घटना सामने आई जिसने आत्मा को भाव विभोर कर दिया ,पति राहुल के फांसी पर झूलने पर पत्नी शीतल को इतना पीड़ा और आघात हुआ कि उसने अपने कमरे में जाकर फांसी लगा कर अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली ,वह अपने जीवन साथी की मौत बर्दाश्त न कर पाई और मौत को गले लगा लिया। इतना अटूट प्यार पुरातन समय में देखा जाता था, अब यह सिद्धांत एक कल्पना सा प्रतीत होता है । यह घटना बताती है किस देश में बढ़ती पश्चात संस्कृति के बीच भी आज भी सच्ची पतिव्रता नारी मौजूद है। आज के तनावपूर्ण जीवन में परिवार का टूटना एक आम बात हो गई है तलाक के मामले अदालत में दिन प्रतिदिन दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। हमारे पुरातन नारी चरित्र आज मात्र इतिहास के पन्ने बनकर रह गए हैं जहां पर एक नारी अपने पति व्रत के बल पर यमराज तक से अपने पति को मौत के मुंह से वापस ले आए थी। माता सीता का चरित्र आज बस रामायण के पन्नों तक सीमित है। आज के परिपेक्ष में महिलाओं का आचरण व व्यवहार अपने परिवार और पति के प्रति पश्चात संस्कृति वाला होता जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण हमारे टीवी कार्यक्रम व फिल्में रही है। आज घर की महिलाएं अधिकतर इन चैनलों को देर रात तक देखती हैं, जबकि पुरुष इन पश्चात चैनलों  से दूरी बनाए हुए हैं ।यह हमारी नारी व बच्चों  के चरित्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। हमारी संस्कृति को प्रोत्साहित करने वाले चैनल जैसे आस्था व संस्कार, आज मानो घरों में केवल बुजुर्गों की शान बढ़ा रहे हैं। आज की युवा पीढ़ी इन चैनलों से बहुत दूरी बनाए हुए हैं, सत्संग व कथाए आज एक मनोरंजन का साधन बन गए हैं । इनमें लोगों मात्र समय पास करने के लिए व लोक दिखावा करने के लिए ही जाते हैं। इन सत्संग से प्राप्त होने वाले ज्ञान को कोई अपने जीवन में नहीं उतारता। आज घरों में बुजुर्गों का तिरस्कार किया जा रहा है यह सब टीवी का ही कमाल है। सरकारें भी आज मौन होकर समाज में अश्लीलता फैलाने वाली फिल्मों को मंजूरी दे रही है। भारतीय सेंसर बोर्ड पता नहीं किस आधार पर भारत में इस तरह की अश्लीलीलता फैलाने वाली फिल्म को अनुमति दे रहा है। आज रुड़की की इस घटना को देखकर लगता है कि कुछ महिलाएं आज भी हमारे संस्कृति से जुड़ी हुई है और अपने पतिव्रत धर्म का पालन कर अपने सास ससुर को उसी प्रकार सम्मान दे रही हैं जैसे कि वह स्वयं के माता-पिता को देती।


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