श्रीराम फाॅर्मेसी के विद्यार्थियों को हिमालय कंपनी में कराया औद्योगिक भ्रमण
श्री राम काॅलेज आफ फाॅर्मेसी द्वारा आयुर्वेदिक दवाईयों को बनाने की प्रक्रियाओं एवं उनके फायदों के बारे में प्रयोगात्मक ज्ञान देने के लिए बी0फाॅर्मा प्रथम वर्ष और डी0फाॅर्मा प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को हिमालय प्राइवेट लिमिटेड देहरादून में औद्योगिक भ्रमण का आयोजन किया गया। औद्योगिक कार्यशैली को भली-भांति समझने के लिए विद्यार्थियों को हिमालय प्राइवेट लिमिटेड में हो रहे कार्यों का अवलोकन कराया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ-चढकर भाग लिया तथा कंपनी द्वारा की जा रही आयुर्वेदिक दवाईयों के उत्पादन की प्रक्रिया का गहनता से अध्ययन किया।
कंपनी के अध्यक्ष डा0 एस0 फारूख ने विद्यार्थियों को कंपनी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कंपनी की स्थापना 1930 में एम0 मनाल द्वारा बंगलुरू में की गई। यह आयुर्वेदिक दवाईयों की उत्पादन करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है। भारत देश के अतिरिक्त कंपनी 56 अन्य देशों में अपने आयुर्वेदिक उत्पादों की सेवाएं प्रदान करती है। देशभर में प्रतिवर्ष कंपनी के लगभग 3 करोड़ उत्पादों की बिक्री होती है।
औद्योगिक भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम कंपनी के टैस्टिंग विभाग में आयुर्वेदिक दवाईयों की टैस्टिंग प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। इसके अतिरिक्त कंपनी के अध्यक्ष डा0 एस0 फारूख ने विद्यार्थियों को कंपनी के मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट की जानकारी देते हुए बताया कि प्लांट में कई आटोमेटिक एडवांस्ड दवाईयां बनाने की मशीनों का उपयोग किया जाता है। ये मशीन प्रति घंटा 1800 दवाईयों का निर्माण करती है। इसके अतिरिक्त उन्होंने विद्यार्थियों को कंपनी के आयुर्वेदिक गार्डन का भी भ्रमण कराया जहां पर तरह-तरह के आयुर्वेदिक पौधें लगे हुए थे। इसके पश्चात् विद्यार्थियों ने कंपनी के अध्यक्ष से आयुर्वेदिक दवाईयों और कंपनी की प्रक्रिया से जुड़े कई सवाल भी किए जिनका उत्तर देकर अध्यक्ष, डाॅ0 एस0 फारूख ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत किया।
श्रीराम काॅलेज आफ फाॅर्मेसी के निदेशक डा0 गिरेन्द्र कुमार गौतम ने विद्यार्थियों को वर्तमान समय में आयुर्वेदिक दवाईयों के फायदे से अवगत कराते हुए बताया कि आयुर्वेदिक दवाईयां प्राकृतिक संसाधनों से निर्मित होती हैं। ये दवाईयां जहां एक ओर बीमारियों को जड़ से खत्म करती हैं, वहीं इन दवाईयों से शरीर को कोई साइडइफेक्ट नहीं होता। उन्होंने आगे बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा का इतिहास लगभग तीन हजार साल पुराना है। आयुर्वेदिक चिकित्सा से हमारे ऋषि- मुनियों ने कई बड़ी-बड़ी बीमारियों का उपचार किया है। कई ऐसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनका उपचार आयुर्वेदिक दवाईयों से ही संभव है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा सिर्फ बीमारियों को ही ठीक नहीं करती, बल्कि यह मनुष्य को जीवन जीने की कला भी सिखाती है। एलोपैथिक चिकित्सा से बीमारियों में तुरंत आराम तो मिलता है लेकिन यह निश्चित नहीं हो पाता कि बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी, जबकि आयुर्वेद चिकित्सा रोग के कारण को समझकर उसको जड़ से खत्म करने में सक्षम होती है। इसके पश्चात् उन्होंने विद्यार्थियों को विस्तारपूर्वक जानकारी देने के लिए कंपनी के अध्यक्ष को धन्यवाद भी ज्ञापित किया।
औद्योगिक भ्रमण को सफल बनाने में फाॅर्मेसी संकाय के प्रवक्ताओं टिंकू कुमार, श्वेता पुण्डीर, छवि गुप्ता, शफकत जै़दी, रोहित मलिक, विकास कुमार, आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।